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"सब कुछ कह देने के बाद / मदन गोपाल लढ़ा" के अवतरणों में अंतर
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और अंत में
मैं एक बार फि र
कहना चाहता हूं
वही बात
जो सबसे पहले कही थी।
सब कुछ कह देने के बाद
वह बात
हमारे इस अनंत संवाद की
फि र से शुरुआत होगी।
भले ही
दोहराना पड़े शब्दों को
मगर बात जारी रखने के लिए
जरूरी है
यह सिलसिला।