भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चन्दनमन (भूमिका) / भावना कुँअर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('डॉ भावना कुँअर का एक हाइकु देखें- ‘सुबक पड़ी कैसी थ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
|||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | डॉ [[भावना कुँअर]] का एक हाइकु देखें- | + | {{KKGlobal}} |
+ | {{KKRachna | ||
+ | |रचनाकार= भावना कुँअर | ||
+ | |संग्रह=चन्दनमन / भावना कुँअर | ||
+ | }} | ||
+ | [[Category:हाइकु]] | ||
+ | <poem> | ||
+ | डॉ [[भावना कुँअर]] का एक [[हाइकु]] देखें- | ||
‘सुबक पड़ी | ‘सुबक पड़ी | ||
कैसी थी वो निष्ठुर | कैसी थी वो निष्ठुर | ||
विदा की घड़ी | विदा की घड़ी | ||
− | क्षण का सत्य -क्षण की अनुभूति -सद्य प्रभाव और शाश्वत सत्य की ओर संकेत-कितना स्पष्ट एवं मनोरम चित्र है ! यह ‘विदा’ किसी विशेष रिश्ते से नहीं बँधी है-अपार विस्तार है -माता,पिता ,भाई, बहन , बन्धु, प्रिय, परिजन -सभी इस विशाल दायरे में आकर समा गए हैं – केन्द्र -बिन्दु है-‘विदा की घड़ी’…अनुपम खूबसूरत हाइकु है | + | क्षण का सत्य -क्षण की अनुभूति -सद्य प्रभाव और शाश्वत सत्य की ओर संकेत-कितना स्पष्ट एवं मनोरम चित्र है ! यह ‘विदा’ किसी विशेष रिश्ते से नहीं बँधी है-अपार विस्तार है -माता,पिता ,भाई, बहन , बन्धु, प्रिय, परिजन -सभी इस विशाल दायरे में आकर समा गए हैं – केन्द्र -बिन्दु है-‘विदा की घड़ी’…अनुपम खूबसूरत [[हाइकु]] है |
+ | <poem> |
15:07, 15 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण
डॉ भावना कुँअर का एक हाइकु देखें-
‘सुबक पड़ी
कैसी थी वो निष्ठुर
विदा की घड़ी
क्षण का सत्य -क्षण की अनुभूति -सद्य प्रभाव और शाश्वत सत्य की ओर संकेत-कितना स्पष्ट एवं मनोरम चित्र है ! यह ‘विदा’ किसी विशेष रिश्ते से नहीं बँधी है-अपार विस्तार है -माता,पिता ,भाई, बहन , बन्धु, प्रिय, परिजन -सभी इस विशाल दायरे में आकर समा गए हैं – केन्द्र -बिन्दु है-‘विदा की घड़ी’…अनुपम खूबसूरत हाइकु है