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{{KKRachna
|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
}}
[[Category:हाइकु]]
<poem>
21
फैली मुस्कान
25
तुतली बोली
आरती में किसी ने
मिसरी घोली ।
26
फैली चाँदनी
धरा से नभ तक
जैसे चादर ।  श्रेणी: हाइकु</poem>