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चाँदी की नाव
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सोने के डाँड लगे
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रेत में धँसी ।
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नींद खुमारी
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सिरहाना न मिला
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पत्थर सही ।
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मेरे गुन न गिने
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खोट हि देखे ।
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मैं दूर्वा भली
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उजाड़ खण्डहर
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कहीं भी पली ।
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तुम दूध थे
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मिली बनके पानी
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सदा ही जली ।
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सोने की सलाखों में
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रूठे हैं गीत ।
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फेन , तिनके
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माथे धरे सागर
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रत्न डुबा दे ।
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नाज़ुक फूल
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सँकरे गुलदान
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जान पे बनी ।
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लिखते पेड़
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हरियाले काग़ज़
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प्रेम की पाती ।
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कहीं न कहीं
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हम सब बेचारे
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दर्द के मारे ।
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मैं तो खुशबू
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हवाओं में समाऊँ
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जग महके ।
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छतों की शाम
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वो दालान की धूप
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सपना हुई ।
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17:04, 18 मई 2012 का अवतरण

    
चाँदी की नाव
सोने के डाँड लगे
रेत में धँसी ।
2
नींद खुमारी
सिरहाना न मिला
पत्थर सही ।
3
हमसफ़र
मेरे गुन न गिने
खोट हि देखे ।
4
मैं दूर्वा भली
उजाड़ खण्डहर
कहीं भी पली ।
5
तुम दूध थे
मिली बनके पानी
सदा ही जली ।
6
बन्दिनी मैना
सोने की सलाखों में
रूठे हैं गीत ।
7
फेन , तिनके
माथे धरे सागर
रत्न डुबा दे ।
8
नाज़ुक फूल
सँकरे गुलदान
जान पे बनी ।
9
लिखते पेड़
हरियाले काग़ज़
प्रेम की पाती ।
10
कहीं न कहीं
हम सब बेचारे
दर्द के मारे ।
11
मैं तो खुशबू
हवाओं में समाऊँ
जग महके ।
12
छतों की शाम
वो दालान की धूप
सपना हुई ।