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+ | नींद खुमारी | ||
+ | सिरहाना न मिला | ||
+ | पत्थर सही । | ||
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+ | हमसफ़र | ||
+ | मेरे गुन न गिने | ||
+ | खोट हि देखे । | ||
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+ | मैं दूर्वा भली | ||
+ | उजाड़ खण्डहर | ||
+ | कहीं भी पली । | ||
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+ | तुम दूध थे | ||
+ | मिली बनके पानी | ||
+ | सदा ही जली । | ||
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+ | बन्दिनी मैना | ||
+ | सोने की सलाखों में | ||
+ | रूठे हैं गीत । | ||
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+ | फेन , तिनके | ||
+ | माथे धरे सागर | ||
+ | रत्न डुबा दे । | ||
+ | 8 | ||
+ | नाज़ुक फूल | ||
+ | सँकरे गुलदान | ||
+ | जान पे बनी । | ||
+ | 9 | ||
+ | लिखते पेड़ | ||
+ | हरियाले काग़ज़ | ||
+ | प्रेम की पाती । | ||
+ | 10 | ||
+ | कहीं न कहीं | ||
+ | हम सब बेचारे | ||
+ | दर्द के मारे । | ||
+ | 11 | ||
+ | मैं तो खुशबू | ||
+ | हवाओं में समाऊँ | ||
+ | जग महके । | ||
+ | 12 | ||
+ | छतों की शाम | ||
+ | वो दालान की धूप | ||
+ | सपना हुई । | ||
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17:04, 18 मई 2012 का अवतरण
चाँदी की नाव
सोने के डाँड लगे
रेत में धँसी ।
2
नींद खुमारी
सिरहाना न मिला
पत्थर सही ।
3
हमसफ़र
मेरे गुन न गिने
खोट हि देखे ।
4
मैं दूर्वा भली
उजाड़ खण्डहर
कहीं भी पली ।
5
तुम दूध थे
मिली बनके पानी
सदा ही जली ।
6
बन्दिनी मैना
सोने की सलाखों में
रूठे हैं गीत ।
7
फेन , तिनके
माथे धरे सागर
रत्न डुबा दे ।
8
नाज़ुक फूल
सँकरे गुलदान
जान पे बनी ।
9
लिखते पेड़
हरियाले काग़ज़
प्रेम की पाती ।
10
कहीं न कहीं
हम सब बेचारे
दर्द के मारे ।
11
मैं तो खुशबू
हवाओं में समाऊँ
जग महके ।
12
छतों की शाम
वो दालान की धूप
सपना हुई ।