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"हाइकु 1-10 / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'" के अवतरणों में अंतर
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− | |रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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− | |संग्रह= मेरे सात जनम / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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− | [[Category:हाइकु]]
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− | <poem>
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− | 1
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− | मेघ बरसे
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− | धरा -गगन एक
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− | प्राण तरसे ।
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− | 2
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− | तुम्हारा आना
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− | आलोक के झरने
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− | साथ में लाना ।
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− | 3
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− | बसंत आया
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− | धरा का रोम-रोम
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− | जैसे मुस्काया ।
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− | 4
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− | बरस बीते
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− | आँसुओं के गागर
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− | कभी न रीते ।
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− | 5
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− | मन्द मुस्कान
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− | उजालों ने दे दिया
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− | जीवन -दान ।
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− | 6
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− | आए जो आप
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− | जनम-जनम के
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− | मिटे संताप ।
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− | 7
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− | कहीं हो नारी
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− | अन्याय के जुए में
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− | सदा से हारी
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− | 8
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− | आज का इंसान
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− | न पा सका धरती
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− | न आसमान ।
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− | 9
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− | चुप बाँसुरी
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− | स्वर संज्ञाहीन -से
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− | गीत आसुरी ।
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− | 1 0
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− | तुम्हारे हाथ
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− | सौंप दिया हमने
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− | साँसों का साथ ।
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− | </poem>
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19:04, 18 मई 2012 के समय का अवतरण