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{{KKRachna|रचनाकार=मुकेश मानस|संग्रह=पतंग और चरखड़ी / मुकेश मानस }} {{KKCatKavita}}
<poem>
कभी-कभी चाय की चुस्कियां लेता हुआ
वह नहीं
उसकी मुस्कान बताती थी
कि उसकी दुकान पर
कुछ नई किताबें आई हैं
वह अजीब दोस्त थावहहमसे कुरेद-कुरेद कर ्पूछता हमारा हाल-चाल पूछता
और अपना हाल-चाल बड़ी मुश्किल से बताता