== 'प्रवासिनी के बोल' का विमोचन== {{KKGlobal}} [[चित्र:Pravasinikebol.jpg|left|thumb|139px|'प्रवासिनी के बोल']] डा अंजना संधीर द्वारा संपादित अमेरिका की प्रवासी कवयित्रियों की कविताओं का पहला संकलन 'प्रवासिनी के बोल' का विमोचन शनिवार ९ दिसंबर को दोपहर ३ बजे 'क्वीन्स लाइब्रेरी' में होना निश्चित हुआ है। इस अवसर पर काव्यपाठ का आयोजन भी रखा गया है। डा संधीर व संकलन में प्रकाशित अधिकतर कवयित्रियां इस अवसर पर क्वींस लाइब्रेरी में उपस्थित रहेंगी। इस आयोजन में प्रवेश निःशुल्क है।{{KKCurrentEventsNavigation}}
==पाँच सितारा होटल में नए मौसम के फूल==
उत्तर प्रदेश के रायबरेली ज़िले में 26 नवंबर 1952 को जन्मे शायर मुनव्वर अली राना की शायरी की 16 और गद्य की 1 यानी अब तक 17 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं । हाल ही में दिव्यांशु प्रकाशन. लखनऊ से उनकी शायरी की नई पुस्तक प्राकाशित हुई है – ‘नए मौसम के फूल’ । मुम्बई के पाँच सितारा होटल सहारा स्टार में शनिवार 21 मार्च को आयोजित एक भव्य समारोह में सहारा इंडिया परिवार के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर श्री ओ.पी.श्रीवास्तव ने इस पुस्तक का विमोचन किया । श्रीवास्तवजी ने इस अवसर पर साहित्य, सिनेमा, मीडिया और व्यवसाय जगत की जानी मानी हस्तियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिस तरह स्लमडॉग मिलेनियर के जमाल के लिए ज़िंदगी ही सबसे बड़ी पाठशाला है, उसी तरह मुनव्वर राना की शायरी का ताना-बाना भी ज़िंदगी के रंग बिरंगे रेशों, सच्चाइयों और खट्टे-मीठे अनुभवों से बुना गया है । श्रीवास्तवजी ने उनके कुछ शेर भी कोट किए-
पुस्तक बुलंदी देर तक किस शख़्स के प्रथम भाग हिस्से में ८१ कवयित्रियों का सचित्र परिचय¸ कविताएँ व रचना प्रक्रिया दी गई रहती है, दूसरे भाग में ३३ प्रतिभाशाली महिलाओं का सचित्र परिचय है तथा तृतीय भाग में भारतीय अमरीकी महिलाओं द्वारा अबतक प्रकाशित पुस्तकों की सूची दी गई है। 'प्रवासिनी के बोल' अमेरिका में हिंदी साहित्य का पहला प्रमाणिक दस्तावेज़ है।
== जगदीश जी के जन्म दिवस पर काव्य गोष्ठी == एक दर्जन से भी अधिक कवियों के प्रेरणा स्रोत या कह सकते हैं उनको एक सफल मंचीय कवि बनाने में अपना सार्थक सहयोग करने वाले, कवियों में सर्वाधिक लोकप्रिय अक्षरम के संरक्षक व अग्रोहा मेडिकल कालेज के वाईस चेयर्मैन श्री जगदीश मित्तल का जन्मदिन 15 नवम्बर को रोहिणी मे बडी सादगी के साथ एक कवि गोष्ठी के रूप में मनाया गया । इस गोष्ठी में जहां मंच के प्रतिष्ठित कवि पं ओम व्यास , श्री महेन्द्र शर्मा, श्री गजेन्द्र सोलंकी व श्रीमती ॠतु गोयल उपस्थित रहें वही नवोदित कवियों श्री अब्दुल कलाम्, श्री विरेन्द्र जटवानी, श्री कृष्ण कान्त मधुर, श्री रसिक गुप्ता , सुश्री प्रीती विश्वास उपस्थित थे । सुप्रसिद्ध हास्य कवि श्री युसुफ भारद्वाज ने गोष्ठी की अधयक्षता करते हुये 15 नवम्बर का दिन बहुत ऊँची इमारत हर वर्ष नवोदित कवियों को मंच प्रदान करने के लिये निर्धारित करने का सुझाव दिया । इस गोष्ठी घड़ी ख़तरे में श्री सत्यनरायण बंसल ( सूर्य रोशनी ), श्री भूपेन्द्र कौशिक, श्री रोशन कंसल व श्री सतीश गुप्ता भी उपस्थित थे । गोष्ठी का संचालन श्री राजेश चेतन ने किया ।रहती है
== दिनेश रघुवंशी चीन रवाना ==कार्यक्रम के संचालक कवि देवमणि पाण्डेय ने मुनव्वर राना का परिचय कराते हुए कहा कि उनकी शायरी में रिश्तों की एक ऐसी सुगंध है जो हर उम्र और हर वर्ग के आदमी के दिलो दिमाग पर छा जाती है । पाण्डेयजी ने आगे कहा कि शायरी का पारम्परिक अर्थ है औरत से बातचीत । अधिकतर शायरों ने ‘औरत’ को सिर्फ़ महबूबा समझा । मगर मुनव्वर राना ने औरत को औरत समझा । औरत जो बहन, बेटी और माँ होने के साथ साथ शरीके-हयात भी है । उनकी शायरी में रिश्तों के ये सभी रंग एक साथ मिलकर ज़िंदगी का इंद्रधनुष बनाते हैं । कार्यक्रम के संयोजक एवं स्टार न्यूज के वरिष्ठ सम्पादक उपेन्द्र राय ने रानाजी का स्वागत करते हुए कहा कि वे हिंदुस्तान के ऐसे अज़ीम-ओ-शान शायर हैं जिसने ‘माँ’ की शख़्सियत को ऐसी बुलंदी दी है जो पूरी दुनिया में बेमिसाल है –
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई
[[चित्र:Raghuvanshi.jpg|left|thumb|100px]]मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई
मंच पर लगे बैनर पर भी ‘माँ’ इस तरह मौजूद थी-
10 नवंबर, 2006इस तरह मेरे गुनाहों को धो देती है
कविवर श्री दिनेश रघुवंशी अपनी एक सप्ताह की काव्य यात्रा पर आज चीन के लिये रवाना माँ बहुत गुस्से में हो गये । वे इंडियन सोसाईटी, चीन की ओर के आमंत्रण पर चीन गये तो रो देती है । यहाँ बीजिंग व शंघाई मे उनके काव्य पाठ का आयोजन किया गया है । एक सफल काव्य यात्रा के लिये अग्रिम शुभकामनायें ।
दरअसल पत्रकार उपेन्द्र राय ने अपनी जीवन संगिनी डॉ.रचना के जन्मदिन पर उनको 'शायरी की एक शाम' का नायाब तोहफा दिया था । उनकी तीन वर्षीय बेटी ऊर्जा अक्षरा ने जन्मदिन का केट काटकर 'माँ' लफ़्ज़ को सार्थकता प्रदान की । शायर मुनव्वर राना की रचनाधर्मिता और सरोकारों पर रोशनी डालते हुए संचालक देवमणि पाण्डेय ने उन्हें काव्यपाठ के लिए आमंत्रित किया –
न मैं कंघी बनाता हूं , न मैं चोटी बनाता हूं
ग़ज़ल में आपबीती को मैं जगबीती बनाता हूं
मुनव्वर राना ने काव्यपाठ की शुरुआत माँ से ही की-
ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता
मैं जब तक घर न लौटूं मेरी माँ सजदे में रहती है
अपने डेढ़ घंटे के काव्यपाठ में राना ने उस आदमी की भी ख़बर ली जो ज़िंदगी की दौड़ में सबसे पीछे है-
सो जाते हैं फुटपाथ पे अख़बार बिछाकर
== अमरीका मे हिन्दी के बढते कदम == [[चित्र:4_0004WIKI.JPG|left|thumb|300px]]मज़दूर कभी नींद की गोली नहीं खाते
आज विश्व शक्ति का नाम ही अमरीका है रानाजी के अनुरोध पर संचालक देवमणि पाण्डेय ने भी कुछ ग़ज़लें सुनाईं । संयुक्त राष्ट्र संघ का कार्यालय भी अमरीका में है, भले ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने हिन्दी को अभी तक स्वीकार नहीं किया है परंतु विश्व शक्ति कार्यक्रम के आंगन अंत में हिन्दी का छोटा पौधा फल-फूल रहा है । सबसे पहले स्वतंत्रता प्रतीक लिबर्टी प्रतिमा को प्रणाम करता हूँ जिसने यहाँ सभी धर्मो,जातियों हास्यसम्राट राजू श्रीवास्तव और भाषाओं सुनीलपाल ने अपनी रोचक प्रस्तुतियों से माहौल को विकसित होने का समान अवसर प्रदान किया है ठहाकों से सराबोर कर दिया ।
अमरीका यात्रा के प्रथम पडाव में न्यू जर्सी के प्लेंसबोरो विद्यालय के हिन्दी प्रेमियों से खचाखच भरे सभागार को देखकर मुझे लगा कि वह दिन दूर नहीं जब अमरीका के विद्यालयों में हिन्दी एक भाषा के रूप में पढाई जाएगी । आज हिन्दी-यू.एस.ए. संस्था द्वारा अमरीका में बीस से अधिक हिन्दी विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है । इन विद्यालयों में साप्ताहिक छुट्टियों में बालक अपने अभिभावकों के साथ घंटों का सफर तय करके हिन्दी सीखने आते हैं । वर्ष के अंत में यह सभी बालक हिन्दी महोत्सव के रुप में आकर अपनी हिन्दी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं, इस बार यह पंचम हिन्दी महोत्सव का आयोजन हिन्दी यू.एस.ए. ने किया था । प्रातः से ही छोटे-छोटे बालक अपने माता-पिता के साथ सभागार में जुटने लगे थे, लगभग एक हजार क्षमता का हाल कुछ ही देर में खचाखच भर गया और फिर प्राथर्ना के साथ पंचम हिन्दी महोत्सव आरम्भ हुआ। गिनती बोलें , वेष प्रतियोगिता , नाटक व कविता पाठ प्रतियोगिता, नृत्य, भाषण और भारत -दर्शन आदि दिन भर अनेक कार्यक्रम बालकों ने सफलतापूर्वक प्रस्तुत किए । लग रहा था कि सभागार में समस्त भारत उतर आया हो, प्राची और पार्थ ने कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन किया ।
धीरे-धीरे दिन ढलता गया और अब मंच पर भारत से आये कवि-कलाकारों को आमंत्रित किया गया । हास्य अभिनेता राजू श्रीवास्तव और विश्व प्रसिद्ध चित्रकार कवि बाबा सत्यनारायाण मौर्या के स्वागत में जन समूह उमड रहा था । राजू श्रीवास्तव की प्रस्तुति पर सभागार लगातार ठहाकों और तालियों से गूँज रहा था। राजू के अभिनय में बडी सहजता है, अमिताभ बच्चन को अपना आदर्श मानने वाले राजू जनता के दिलों पर अपनी अदाकारी के अमिट हस्ताक्षर करने में सफल रहे । बाबा सत्यनारायाण मौर्य हिन्दी यू.एस.ए.के एक सक्रिय कार्यकर्ता के रुप में वर्षों से जुडे हैं । अत: वे हिन्दी यू.एस.ए के स्वयंसेवकों में बहुत लोकप्रिय है । .राजू श्रीवास्तव और मेरे लम्बे काव्य पाठ के बाद रात्रि के लगभग साढे ग्यारह बजे का समय हो गया था लेकिन जनता अभी भी पूरे उत्साह से जमी हुई थी और फिर शुरू हुआ बाबा का लोकप्रिय कार्यक्रम भारत माता की आरती, कानवास पर बाबा के हाथ थिरक रहे थे, संगीत का आभाव था, मैं किसी तरह राजू के साथ मिलकर टूटे-फूटे स्वर में बाबा का सहयोग कर रहा था और देखते ही देखते सभागार में भारत मां की जय के नारे गूँजने लगे । हिन्दी को अमरीका में स्थापित करने के संक्लप के साथ पंचम् हिन्दी महोत्सव संपन्न हुआ । हिन्दी यू.एस.ए के संयोजक श्री देवेंद्र सिंह व उनकी धर्म पत्नी श्रीमती रचिता सिंह साधुवाद के पात्र हैं जिनके नेतृत्व में अनेक स्वयंसेवक जैसे श्रीमती और श्री संदीप अग्रवाल , श्री राज मित्तल , श्रीमती और श्री शैलेंद्र सिहं , श्री ब्रजेश सिहं , श्रीमती और श्री सचिन गर्ग , श्री दिग्विजय म्यूर , श्री त्रृषि गोर, श्रीमती और श्री दुर्गेश गुप्ता हिन्दी सेवा में जुटे हैं । यहाँ ओलंपिक सिटी अटलांटा का उल्लेख करना भी मैं जरूरी समझता हूँ , चालीस लाख की आबादी का यह शहर मौसम में दिल्ली जैसा है । यहाँ बडी संख्या में कंप्यूटर इंजिनीयर हैं । श्री शिव अग्रवाल जी द्वारा निर्मित इंडियन ग्लोबल माँल अटलांटा में एक छोटे भारत के रूप में है । सेवा इंटरनेशनल ने यहाँ के सभागार में हास्य के फव्वारे नाम से एक हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया । लखनऊ के एक युवा कवि श्री अभिनव शुक्ला जो कि आजकल अमरीका में ही हैं, उनके काव्य पाठ से कवि सम्मेलन आरंभ हुआ । अभिनव के चुटीले व्यंग्य बाण और आरक्षण पर प्रहार करती कविता ने जनता को प्रभावित किया । कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुझे भी कुछ कविता प्रस्तुत करने का अवसर मिला और फिर आरंभ हुआ बाबा मौर्य द्वारा भारत माँ की आरती का कार्यक्रम । अटलांटा के कार्यकर्ताओं ने संगीत का प्रबंध कर लिया था, अतः बाबा मौर्य के गीतों व संगीत की धुनों के साथ पूरा सभागार भारत माँ की भक्ति में नाचने लगा । इस समारोह को सफल बनाने में श्रीमती और श्री गौरव सिहं एवम् श्रीमती और श्री श्रीकांत जी साधुवाद के पात्र हैं । हिन्दी के इस पताका को फहराने में अंतराष्ट्रीय हिन्दी समिति का भी बडा योगदान है । व्यक्तिगत बातचीत में श्री हिमांशु पाठक ने मुझे बताया कि अमरीका के पुस्तकालयों में आजकल हिब्रू , चीनी के साथ-साथ हिन्दी साहित्य पर भी परिचर्चा आयोजित की जा रही है । अब यह अवसर आया है कि भारत सरकार हिन्दी के इन समर्पित कार्यकर्ताओं को साथ लेकर विश्व हिन्दी सम्मेलन अमरीका में आयोजित करने पर विचार करे। अगर अगला विश्व हिन्दी सम्मेलन अमरीका में किया गया तो हिन्दी के इन छोटे-छोटे प्रकलपों को ऊर्जा मिलेगी और संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वार पर हिन्दी की एक सश्कत आवाज भी पहुँच सकेगी । अमरीका के हिन्दी सेवियों को शत-शत प्रणाम । == कैम्ब्रिज के पाठयक्रम से हिन्दी को हटाना । == [[चित्र:DSCN1181.JPG|left|thumb|200px]] 23 अक्टूबर सोमवार साहित्य अकादमी, नई दिल्ली अक्षरम द्वारा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के पाठयक्रम से हिन्दी हटाये जाने के संदर्भ सभागार में “ विदेशी विश्वविद्यालयों में हिन्दी का भविष्य ” विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन हिन्दी भवन में किया गया जिसकी अध्यक्षता श्री हिमांशु जोशी ने की । डा॰ श्री एल एम सिंघवी और डा॰ सत्येन्द्र श्रीवास्तव कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे । डा अशोक चक्रधर, श्रीमती मधु गोस्वामी, डा रमेश गौतम, डा एम पी शर्मा, डा दिविक रमेश, डा प्रेम जनमेजय, डा हरीश नवल, डा विमलेश कांति वर्मा, श्री अनिल जनविजय, श्री विजय कुमार मल्होत्रा और डा राजेश कुमार गोष्ठी के प्रतिभागी थे । डायमंड पाकेट बुक्स वाले श्री नरेन्द्र वर्मा स्वागताध्य्क्ष थे । कार्यक्रम का संचालन श्री अनिल जोशी व श्री राजेश चेतन ने किया । == अंतर्राष्ट्रीय हिंदी उत्सव हाइकु दिवस समारोह==
दुनिया में सबसे अधिक चर्चित एवं आकार की दृष्टि से सर्वाधिक छोटी मात्र १७ अक्षर की कविता '[[हाइकु]]'पर केन्द्रित 'हाइकु दिवस` का आयोजन साहित्य अकादमी नई दिल्ली के सभागार में ०४ दिसम्बर को किया गया। रवीन्द्र नाथ टैगोर और उनके बाद अज्ञेय जी ने अपनी जापान यात्राओं से वापस आते समय जापानी हाइकु कविताओं से प्रभावित होकर उनके अनुवाद किए जिनके माध्यम से भारतीय हिन्दी पाठक 'हाइकु` के नाम से परिचित हुए। इसके बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली में जापानी भाषा के पहले प्रोफेसर डॉ० सत्यभूषण वर्मा(०४-१२-१९३२ ....... १३-01-२००५) ने जापानी हाइकु कविताओं का सीधा हिन्दी में अनुवाद करके भारत में उनका प्रचार-प्रसार किया। इससे पूर्व हाइकु कविताओं के जो अनुवाद आ रहे थे वे अंगे्रजी के माध्यम से हिन्दी में आ रहे थे प्रो० वर्मा ने जापानी हाइकु से सीधा हिन्दी अनुवाद करके भारत मे उसका प्रचार-प्रसार किया। परिणामत: आज भारत में हिन्दी हाइकु कविता लोकप्रिय होती जा रही है। अब तक लगभग ४०० से अधिक हिन्दी हाइकु कविता संकलन प्रकाशित हो चुके हैं और निरन्तर प्रकाशित हो है। प्रो० सत्यभूषण वर्मा के जन्म दिन ४ दिसम्बर कैं हाइकु दिवस के रूप मे मनाने का प्रारम्भ हाइकु कविता की पत्रिका `हाइकु दर्पण'12ने २००६ से गाजियाबाद से किया। हाइकु दर्पण के संपादक डॉ० जगदीश व्योम, कमलेश भट्ट कमल एवं डॉ० अंजली देवधर द्वारा हिन्दी हाइकु कविता की गुणवत्ता में सुधार हेतु निरन्तर प्रयास किए जा रहे है। इसी श्रृंखला में यह आयोजन किया गया। हाइकु दिवस समारोह के अध्यक्ष सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ० प्रभाकर श्रोत्रिय ने दीप प्रज्ज्वलन कर समारोह का शुभारम्भ किया। मुख्य अतिथि श्री विजय किशोर मानव (संपादक कादम्बिनी) ने कहा कि हाइकु कविता मन की अतल गहराईयों कैं प्रभावित कर सके ऐसा प्रयास करना चाहिए। विशिष्ट अतिथि आकाशवाणी के केन्द्र निदेशक लक्ष्मीशंकर वाजपेई ने कहा कि हाइकु मन की अनुभूति की कम शब्दों में व्यक्त करने का सर्वाधिक सशक्त माध्यम है। उन्होंने अपनी आकाशवाणी की गोष्ठियों में हाइकु पाठ के लिए भी हाइकुकारों कैं आमंत्रित किए जाने की योजना विषयक जानकारी दी तथा डोगंरी भाषा मे लिखी जा रही हाइकु कविताओं की चर्चा की। विशिष्ट अतिथि डॉ० अंजली देवधर ने अंग्रेजी एवं अन्य भाषाओं में लिखे जाने वाली हाइकु कविताओं की चर्चा करते हुए दुनिया के तमाम देशों में आयोजित हाइकु संगोष्ठियों में भारतीय हाइकु व हिन्दी हाइकु की उपस्थिति व मान्यता विषयक जानकारी देते हुए बताया कि बंगलोर में आयोजित अंग्रेजी भाषा के विश्व हाइकु सम्मेलन में पहली बार हाइकु दर्पण के संपादक को हिन्दी में हाइकु की स्थिति पर शोधपत्र प्रस्तुत करने हेतु आमंत्रित किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रभाकर श्रोत्रिय ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि शब्द जैसे-13जैसे कम होते जाते है कविता सघन होकर और प्रभावशाली होती जाती है। हाइकु में कम शब्द होते है वहाँ किसी निरर्थक शब्द या अक्षर की गुंजाइश नहीं है इसीलिए एक अच्छा हाइकु बहुत प्रभावशाली होता है। हाइकु दर्पण पत्रिका के संपादक एवं हाइकु दिवस समारोह के संयोजक डॉ० जगदीश व्योम ने विश्व स्तर पर हिन्दी हाइकु की स्थिति की जानकारी दी। इण्टरनेट पर हिन्दी हाइकु के विषय में बताते हुए डा० व्योम ने कहा कि हिन्दी की सर्वाधिक लोकप्रिय वेबसाइट-14 जनवरी 2007अनुभूति एवं अभिव्यक्ति की संपादक पूर्णिमा वर्मन (यू.ए.ई.) ने हाइकु माह जैसे आयोजन किया तथा हाइकु की कार्यशाला आयोजित की और प्रतिदिन एक चुनिन्दा हाइकु चित्र सहित वेबसाइट पर प्रकाशित किया जिन्हें हजारों वेब पाठकों ने प्रतिदिन पढ़ा और सराहा। हिन्दी की अनेक वेबसाइट्स हैं जिन पर हाइकु कविताएँ निरंतर प्रकाशित की जा रही है? कार्यक्रम का संचालन कर रहे प्रसिद्ध हाइकुकार एवं साहित्यकार कमलेशभट्ट कमल ने हाइकु लेखन पर समग्र दृष्टि डालते हुए बताया कि आज के व्यस्ततम समय में मन के अनुभावों को व्यक्त करने के लिए अधिक समय किसी के पास नहीं है ऐसे में हाइकु कविता सर्वाधिक उपयोगी तथा समसामयिक है। प्रो० वर्मा के साथ हमेशा से जुड़े रहे कमलेश भट्ट कमल ने हिन्दी हाइकु यात्रा विषयक विस्तृत जानकारी दी तथा हाइकु १९८९, नई दिल्लीहाइकु १९९९ जैसे ऐतिहासिक संकलनों के संपादन के बाद प्रस्तावित हाइकु २००९ के संपादन विषयक जानकारी देते हुए हाइकुकारों से हाइकु भेजने हेतु कहा। ओमप्रकाश चतुर्वेदी पराग ने हाइकु कविता को ५-७-५ अक्षरक्रम में मात्र १७ अक्षर तक सीमित रखने विषयक अनुशासन पर प्रश्न उठाया। ''''' इस अवसर पर प्रो० सत्यभूण वर्मा की जीवन संगिनी श्रीमती सुरक्षा वर्मा की गरिमामय उपस्थित समारोह का आकर्षण रही। डा० अंजली देवधर को विभिन्न देशों व भाषाओं में हिन्दी हाइकु का प्रचार-प्रसार करने तथा श्रीमती सुरक्षा वर्मा को प्रो० सत्यभूषण वर्मा द्वारा छोडी गई हाइकु यात्रा को निरन्तर आगे बढाने की दिशा में सतत सहयोग देने के लिए समारोह के अध्यक्ष प्रभाकर श्रोत्रिय तथा मुख्यअतिथि कादम्बिनी के संपादक विजय किशोर मानव द्वारा शाल उढाकर सम्मानित किया गया। समारोह में हाइकुकारों ने हाइकु कविताओं का पाठ कर जनसमूह को प्रभावित किया। हाइकु पाठ करने वालों में सर्वश्री- डॉ० कुअँर बेचैन, डॉ० सरिता शर्मा, पवन जैन(लखनऊ), अरविन्द कुमार, लक्ष्मीशंकर वाजपेई, ओम प्रकाश चतुर्वेदी पराग, कमलेश भट्ट कमल, डॉ० जगदीश व्योम, सुजाता शिवेन(उड़िया कवयित्री), ममता किरण वाजपेई, प्रदीप गर्ग आदि प्रमुख थे। हाइकु दिवस समारोह में सुप्रसिद्ध साहित्यकार से.रा.यात्री, सुप्रसिद्ध गजलकार ज्ञान प्रकाश विवेक, इंडिया न्यूज पत्रिका के सहायक संपादक अशोक मिश्र, बी. एल. गौड़, साहित्यकार डॉ० अरुण प्रकाश ढौंढ़ियाल, हरेराम समीप, अमरनाथ अमर, डॉ० तारा गुप्ता, श्रीमती ज्योति श्रोत्रिय, ब्रजमोहन मुदगल, एस.एस.मावई, श्रीमती मावई, श्रीमती अलका यादव, शिवशंकर सिंह, सुधीर, प्रत्यूष, ममता किरन, मृत्युंजय साधक, नीरजा चतुर्वेदी आदि उपस्थित रहे। अन्त में धन्यवाद ज्ञापन संयोजक डॉ० जगदीश व्योम ने किया।
परिचय== अमेरिका में हिन्दी महोत्सव की धूम ==न्यू जर्सी (यू. एस. ए.)
अक्षरम नई दिल्ली हिन्दी यू.एस.ए. द्वारा अमेरिका के न्यू जर्सी राज्य के सोमरसेट नगर में अंतर्राष्ट्रीय हिंदी उत्सव फ्रेंक्लिन हाई स्कूल के सभागार में दो दिवसीय सप्तम हिन्दी महोत्सव का भव्य आयोजन कर किया गया। आयोजन के पहले दिन लगभग 650 बालकों ने हिन्दी व अन्य भारतीय भाषाओं में विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। 1200 क्षमता का फ्रेंक्लिन हाई स्कूल का सभागार जन समुदाय से भरा हुआ था। नृत्य, संगीत, अंताक्षरी, कविता पाठ, वाक्य में प्रयोग, हनुमान चालीसा तथा रामायण चोपाई गायन इस प्रकार की अन्य-अन्य प्रतियोगिताएँ देखकर दर्शक दाँतों तले उंगली दबाने को विवश थे। [[चित्र:BachchoPhoto1.jpeg|right]] हिन्दी यू.एस.ए. संस्था अमेरिका के न्यू जर्सी राज्य के अलावा अमेरिका के अन्य प्रांतों तथा कनाडा में भी हिन्दी के लगभग 25 विद्यालय चला रही है। अक्षरम इससे पूर्व प्रवासी हिंदी उत्सव (2006) इन विद्यालयों में लगभग 1200 बालक – बालिकाएँ साप्ताहिक कक्षा में आकर हिन्दी सीखते हैं और प्रवासी हिंदी कवि सम्मेलनों (2002-2005) वर्ष में एक बार आयोजित हिन्दी महोत्सव में आकर अपनी प्रतिभा का सफलतापूर्वक आयोजन कर चुकी है। मंचन करते हैं। इन कार्यक्रमों कक्षाओं की एक और विशेषता का उल्लेख करना ज़रूरी है कि इन कक्षाओं में देश-विदेश दक्षिण भारतीय राज्यों के साहित्यकार, बुद्धिजीवी और विद्यार्थी बालक-बालिका भी उत्साह से भाग लेते हैं। अक्षरम के कार्यक्रम भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर)अभी तक समपन्न 6 हिन्दी महोत्सवों में भारत से बाबा रामदेव, साहित्य अकादमीश्रीमती किरण बेदी, नई दिल्लीश्री वेद प्रताप वैदिक, विदेश मंत्रालयसाध्वी ऋतम्भरा, भारत सरकार आदि राष्ट्रीय संस्थाओं श्री नितिश भारद्वाज और लाफ्टर चैम्पियन राजू श्रीवस्तव अतिथि के सहयोग से आयोजित किए जाते रूप में आ चुके हैं।अंतर्राष्ट्रीय हिंदी उत्सव में हिंदी से जुड़े ज्वलंत मु्द्दों पर विचार-विमर्श इसी प्रकार भारत के लिए शैक्षिक सत्र, हिन्दी लोकप्रिय कवि-सम्मेलनश्री अशोक चक्रधर, नाटकहुल्लड़ मुरादाबाद, रचनाओं का नाट्य पाठमाणिक वर्मा, साहित्यकारों से भेंटओम व्यास, प्रवासी हिंदी साहित्य आदि कार्यक्रमों गजेन्द्र सोलंकी काव्य पाठ कर चुके हैं। लगभग 7 वर्ष पूर्व एक युवा दमपति देवेन्द्र- रचिता सिंह द्वारा आरंभ किया गया यह हिन्दी अभियान एक आन्दोलन का आयोजन रूप लेता जा रहा है। हिन्दी महोत्सव में इस जन आन्दोलन का भव्य रूप का दर्शन किया जाता जा सकता है।हिन्दी साहित्य के लगभग 15 स्टॉल लगाए गए थे। भारतीय व्यंजन उपलब्ध थे तथा दर्शक भी भारतीय वेशभूषा में समारोह में उपस्थित हुए थे। कुल मिलाकर एक रंग बिरंगे मेले का रूप इस हिन्दी के उत्सव ने ले लिया था। जितने लोग सभागार में उपस्थित थे उतने ही लोग बाहर मेले का आनन्द ले रहे थे।
'''उत्सव 2007 – कार्यक्रमों का विवरण'''
वर्ष 2006 मेले का दूसरा दिन विजेता बालकों को प्रवासी उद्योगपति श्री ब्रह्मरत्तन अग्रवाल और पूर्व एम्बेसेडर एट-लार्ज श्री भीष्म अग्निहोत्री द्वारा पुरस्कार वितरण से आरंभ हुआ। इस अनुष्ठान में लगभग 120 से अधिक हिन्दी के उत्सव के अवसर पर चर्चा के मुख्य संभावित विषय होंगे'''विश्व पटल पर हिंदी''' – अध्यापक-अध्यापिकाएँ जुड़े हैं। इन सब का सम्मान किया गया। प्रसन्नता की बात है कि इन में से बहुत से अध्यापक-अध्यापिकाएँ दक्षिण भारतीय राज्यों से भी आते हैं। हिन्दी यू.एस.ए. संस्था की एक और विशेषता का उल्लेख करना जरूरी है कि इस सत्र संस्था में प्रमुख देशों कोई पद नहीं है, सभी स्वयंसेवक के राजनयिकों के सान्निध्य रूप में विश्व स्तर पर हिंदी ही कार्य करते हैं। लगभग 50 स्वयंसेवक दिन-रात मेहनत कर के इस आयोजन को सफल करते हैं। स्वयंसेवकों की स्थिति मेहनत का जायजा लिया जाएगा और उसके विकास अन्दाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब सम्मान हेतु उनका नाम मंच से पुकारा गया, तो व्यवस्था में व्यस्त रहने के उपायों कारण, कोई भी स्वयंसेवक मंच पर चर्चा उपस्थित ना हो पाया। इस अवसर पर श्री भूपेन्द्र मौर्य द्वारा सम्पादित “कर्मभूमि” नामक त्रैमासिक पत्रिका का लोकार्पण भी किया गया। हिन्दी यू. एस. ए. की जाएगी। यह ई-पत्रिका हिन्दी जगत में लोकप्रिय होती जा रही है।
'''हिंदी के विकास की भावी दिशाएँ''' – यहाँ भारत के विभिन्न राज्यों के प्रमुख व्यक्तियों (मुख्य मंत्री आदि) के मार्गदर्शन में भारत में हिंदी के विकास की भावी दिशाओं पर विचार-विमर्श होगा, ताकि इस दशा में ठोस कार्य किया जा सके।
'''कॉरपोरेट जगत इसके बाद आरंभ हुआ भारत से पधारे कवि श्री ओमप्रकाश आदित्य, राजेश चेतन, और हिंदी''' – इस सत्र बाबा सत्यनारायण मौर्य द्वारा कवि सम्मेलन। राजेश चेतन के संचालन में कॉरपोरेट जगत लगभग 4 घण्टे तक यह कवि सम्मेलन चला। आदित्य जी की हास्य कविताओं को सुनकर सभागार ठहाकों से गूंज रहा था। हास्य के हिंदी छन्द, बालक और परीक्षा तथा नोट देवता की आरती सुनाकर, आदित्य जी ने जनता को लोट-पोट कर दिया। हास्य व्यंग के प्रति दृष्टिकोण साथ, ओज कविता के तेवर रखने वाले राजेश चेतन ने अपने लगभग 1 घंटे के काव्य पाठ में ‘राम बना रोम’ तथा ‘भारत और निकट भविष्य आतंकवाद’ जैसी कविताएँ सुनाकर, जनता की खूब वाह-वाह लूटी। विश्व प्रसिद्ध कवि कलाकर बाबा सत्यनारायण मौर्य ने हिन्दी महोत्सव की गरिमा अनुसार सबसे पहले राजेश चेतन की वनवासी राम कविता के साथ भगवान राम का चित्र बनाया। विश्व में इस क्षेत्र में होने वाली गतिविधियों सर्वाधिक तेज गति से चित्र बनाने के लिए प्रसिद्ध बाबा ने अपनी कविताओं के साथ-साथ चित्रकारी की भी गहरी छाप जनता पर मनन करके छोड़ी। समस्त जनता ने खड़े होकर, बाबा मौर्य का आरती में सहयोग किया तथा हिन्दी को एक जन-आन्दोलन बनाने के संकल्प के साथ सातवां हिन्दी महोत्सव समपन्न हुआ। इस क्षेत्र आयोजन में हिंदी प्रूडेंशल बीमा कम्पनी के विकास पर प्रकाश डाला जाएगा। श्री जय पुरोहित, महावीर चुड़ासमा, और श्री सतीष करनधिकर का आर्थिक सहयोग रहा, उनके प्रति भी संस्था आभार प्रकट करती है।
'''हिंदी मीडिया का संसार''' – मीडिया ==उषा राजे सक्सेना के क्षेत्र में हिंदी भाषा कि स्थिति और भविष्य में होने वाले विकास पर इस सत्र में गहन चर्चा की जाएगी। नए कहानी संग्रह का लोकार्पण==
चर्चित कहानीकार उषा राजे सक्सेना के कहानी संग्रह '''हिंदी वह रात और प्रौद्योगिकीअन्य कहानियाँ'का लोकार्पण'' – यह सत्र प्रौद्योगिकी के क्षेत्र लंदन स्थित नेहरू केंद्र में हिंदी दिनांक शुक्रवार 30 मई 2008 को संपन्न हुआ। समारोह की स्थिति को समर्पित हैअध्यक्षता, अचला शर्मा लेखिका, जिसमें इस बात की छानबीन की जाएगी कि निदेशक बी.बी.सी वर्ल्ड सर्विस हिंदी के और अधिक विकास में प्रौद्योगिकी का सहयोग कैसे लिया जा सकता है। '''हिंदी शिक्षण''' – विदेशों में हिंदी भाषा के शिक्षण लंदन ने किया। नेहरू केंद्र की स्थिति और इस क्षेत्र की अपेक्षाओं पर इस सत्र में विचारनिदेशक सुश्री मोनिका मोहता,आलोचक-विमर्श होगासमीक्षक गज़लकार श्री प्राण शर्मा, लेखिका-अनुवादक सुश्री युट्टा आस्टिन, जो हिंदी शिक्षण के आधुनिक दृष्टिकोण को प्रस्तुत करेगा। '''हिंदी अध्ययन और अनुसंधान''' – हिंदी के क्षेत्र में हो रहे अध्ययन और अनुसंधान तथा इन कार्यों की समस्याओं की पड़ताल इस सत्र का विषय होगा। '''हिंदी साहित्य''' – इस सत्र में हिंदी साहित्य की प्रमुख विधाओं के वर्तमान विकास का परिचय दिया जाएगा और विधा के प्रमुख साहित्यकारों भारत से उनकी रचना का वाचन और उनसे साक्षात्कार का अवसर उपलब्ध करवाया जाएगा। '''प्रवासी हिंदी साहित्य''' - यह सत्र प्रवासी हिंदी साहित्य की वर्तमान प्रवृत्तियों को प्रस्तुत करेगा और प्रमुख प्रवासी हिंदी साहित्यकारों से परिचय का अवसर प्रदान करेगा। '''हिंदी सेवी संस्थाएँ''' – हिंदी आए पुस्तक के विकास को गति दे रही संस्थाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा प्रस्तुत करना इस सत्र का लक्ष्य होगा।प्रकाशक श्री महेश भारद्वाज (सामायिक प्रकाशन) विशिष्ट अतिथि थे।
'''हिंदी कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए नेहरू केंद्र की निदेशक, मोनिका मोहता ने सभी आगंतुक साहित्यकारों और रोज़गारश्रोताओ का स्वागत करते हुए बताया कि उषा राजे सक्सेना ब्रिटेन की एक महत्वपूर्ण कथाकार हैं उनके कहानी संग्रह 'वह रात ओर अन्य कहानियाँ'' – हिंदी के क्षेत्र पुस्तक का लोकार्पण समाहरोह आयोजित कर नेहरू सेन्टर गौरवान्वित है। कार्यक्रम की अध्यक्षा अचला शर्मा ने अपने वक्तव्य में उपलब्ध रोज़गारों कहा कि उषा राजे उन तमाम विषयों पर क़लम चलाने का माद्दा रखती हैं जिन पर आमतौर पर अंग्रेज़ी के लेखक अपना अधिकार मानते है। ऐसे पात्रों के मन को समझना और रोज़गार की समस्याओं उनकी कहानी लिखना जोखिम का इस सत्र काम है, उषा राजे यह जोखिम बखूबी उठाती हैं। अचला शर्मा ने आगे कहा कि उषा राजे की एक विशेषता यह कि वह चुपचाप अपने लेखन कार्य में लेखा-जोखा प्रस्तुत किया जाएगा। लगी रहती हैं ये कहनियाँ इस बात का सुबूत हैं कि उषा अपने परिवेश के प्रति सजग हैं. क्योंकि ये कहानियाँ कई खबरों की सुर्खियों की याद दिलाती हैं।
मुख्य वक्ता प्राण शर्मा ने अपने वक्तव्य के दौरान कहा, उषा राजे की कहानियाँ'उनके ब्रिटेन के साक्षात अनुभवों को अभिव्यक्त करती हैं। ये कहानियाँ हिंदी साहित्य में तो शीर्ष स्थान बनाती ही हैं साथ अँग्रेज़ी कहानियों के समानांतर भी हैं। 'वह रात और अन्य कहानियाँ'कवि-सम्मेलन''' – देश-विदेश में दुनिया के प्रमुख कवियों अनेक देशों के आप्रवासी पात्र अपनी-अपनी व्यक्तिगत एवं स्थानीय समस्याओं और गीतकारों की ताज़ातरीन रचनाओं की प्रस्तुति। मनोवैज्ञानिक दबाव के साथ हमारे समक्ष आते हैं।
'''नाटक''' – प्रतिष्ठित रंगकर्मियों द्वारा सामाजिक और व्यक्तिगत जटिलताओं लेखिका-अनुवादक सुश्री युट्टा आस्टिन ने उषा राजे की प्रभावशाली प्रस्तुति। '''कहानियों को गहन अनुभूतियोंवाली वाली कहानियाँ बताया। उन्होंने कहा ये कहानियाँ मात्र भारतीय या पाश्चात्य ही नहीं बल्कि विभिन्न देशों से आए प्रवासियों की कहानियाँ है। युट्टा ने बताया कि उन्होंने इन कहानियों का अंग्रेजी अनुबाद कर इन्हें विश्वव्यापी बनाने का प्रयास किया है।
हिंदी-कर्मी सम्मानप्रकाशक महेश भारद्वाज ने 'वह रात और अन्य कहानियाँ'' – हिंदी के क्षेत्र में कार्यरत साधकों के कार्य को मान्यता और सम्मान। कृपया विस्तृत जानकारी के लिए संपर्क करें- संपर्कः अक्षरम अनिल जोशीवैश्विक, अध्यक्ष – 09899552099 email: anilhindi@yahoo.com यथार्थ पर आधारित पठनीय कहानियाँ बताया। राजेशकुमार, संयोजक - 09810141250 email: drajeshk@yahoo.com == कृष्ण मित्र को गोलवलकर काव्य पुरस्कार =='''8 अक्टूबर,2006''' संस्कार भारती दिल्ली की ओर से सूर घाट, जमना के तट पर वाल्मिकी जयन्ती व गुरू गोलवलकर जन्म शताब्दी के उपलक्ष उषा राजे ने अपने वक्तव्य में आयोजित शरद स्वागत कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया । भाजपा कहा वे अपनी लेखनी के नेता श्री लाल कृष्ण अडवाणी व श्रीमती सुषमा स्वराज ने राष्ट्रीय कवि कृष्ण मित्र को गुरू गोलवलकर काव्य पुरस्कार 2006 माध्यम से सम्मानित किया गया ।इस अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन में श्री गोविंद व्यास, श्री मुनव्वर राणा, श्री गोपाल अरोडा, श्री कमलेश मौर्य, श्री गजेन्द्र सोलंकी, श्री लाजपत राय विकट, श्रीमती ॠतु गोयल, डा. सुनील जोगी ने काव्य पाठ किया व श्री राजेश चेतन कवि सम्मेलन का सफल संचालन किया । संस्कार भारती मातृ भाषा के महामंत्री अनुपम भटनागर ने सभी का धन्यवाद किया । == प्रख्यात गीतकार श्री मधुर शास्त्री उन पाठकों तक पहुँचना चाहती हैं जिनकी पहुँच अँग्रेज़ी भाषा साहित्य तक नहीं रहे == हिन्दी के प्रख्यात गीतकार श्री मधुर शास्त्री जी का निधन दिनांक 4 अक्टूबर को अचानक हो गया। ७४ वर्षीय श्री शास्त्री हिन्दी मंच के बहुत ही लोकप्रिय गीतकार रहे । अपने है परंतु वे पाश्चात्य जीवन में शास्त्री जी ने ८ काव्य संग्रह हिन्दी साहित्य को दिये । उनके दुखद निधन से हिन्दी साहित्य ने एक महान गीतकार खोया है । शास्त्री जी के चरणों में विनम्र श्रद्धांजलि। == ''''''हरियाणा का सर्वश्रेष्ठ कवि सम्मेलन'''''' == [[चित्र:DSCN1056.JPG|left|thumb|200px]] कैथल-पद्धति,हरियाणा (24 सितंबरजीवन-मूल्य,2006) महाराजा अग्रसेन का दिव्य दरबारकार्य-संस्कृति, भव्य, दिव्य मंच, मंच के एक ओर आगन्तुक अतिथि जिनमें दिल्ली सरकार के लोकप्रिय मंत्री श्री मंगत राम सिंघल व दूसरी ओर सरस्वती पुत्र कविगण, सामने हजारों की जो भीड जो मन्त्र मुग्ध होकर कविता सुनने आई है । हर वर्ष की भाँति एक यादगार काव्य अनुष्ठान आरम्भ हुआ । डा सुनील जोगी, डा मंजु दीक्षित, श्री गजेंद्र सोलंकी, श्री सुनील साहिल, श्री जगबीर राठी व देवेश तिवारी के काव्य पाठ पर जन समुदाय झूम रहा था । दिल्ली के युवा कवि राजेश चेतन कुशलता पूर्वक मंच संचालन कर रहे थे । इस समारोह को सफ़ल बनाने में श्री प्रवीण चौधरी, श्री राजेन्द्र गुप्ता व श्री श्याम सुंदर बंसल मानसिकता और प्रवासी जीवन आदि का सहयोग रहा । == हिन्दी का एक लघु दीप - ओमान ==फर्स्टहैंड पड़ताल चाहते हैं।
कार्यक्रम का संचालन राकेश दुबे, अताशे (हिंदी एवं संस्कृति) भारतीय उच्चायोग लंदन ने किया। कहानी-पाठ किशोरी प्रज्ञा 'सुरभि' सक्सेना ने बड़े ही प्रभावशाली और सरस ढंग से किया। नेहरूकेंद्र लंदन के तत्वावधान में हुए इस कार्यक्रम में ब्रिटेन के लगभग सभी गणमान्य साहित्यकार उपस्थित थे और सभागार श्रोताओं और अतिथियों से भरा हुआ था।
== परिवेश सम्मान - 2007 ==
[[चित्र:DSCN0978.JPG|left|thumb|210px|आमंत्रित कविगण होटल अलबूस्तान में]] मस्कट ( 8 अक्टूबर ), मस्कट ओमान की राजधानी, सुंदर, सुसज्जित, एक ओर समन्दर,दूसरी ओर पहाड़, शापिंग माल, होटल्स, 25 लाख की आबादी साहित्यिक पत्रिका परिवेश द्वारा प्रतिवर्ष किसी रचनाकार को दिया जाने वाला चौदहवाँ परिवेश सम्मान वर्ष 2007 के ओमान देश लिए कवि-आलोचक शैलेंद्र चौहान को देने का निर्णय लिया गया है। परिवेश सम्मान की एक चौथाई जनसंख्या यहां निवास करती है । अगर आपको अंग्रेजी नही आती, ना ही अरबी आती तो घबराना नहीं ओमान मे हिन्दी से भी आपका काम बखूबी चलेगा । दिल्ली से अहमदाबाद होते जैसे ही मस्कट पहुँचे इंडियन सोशल क्लब घोषणा करते हुए परिवेश के श्री सी एम सरदार, श्री गजेश धारीवाल , श्री वीर सिंह और श्री एन डी भाटिया सम्पादक मूलचंद गौतम एवं महेश राही ने सपरिवार पुष्पगुच्छों से कवियों का गर्मजोशी से अभिनन्दन किया, ओमानी नागरिक विस्मय से इस समारोह को देख रहे थे । इस लघु समारोह कहा कि हिन्दी में तमाम तरह के बाद हास्य आचार्य श्री ओम प्रकाश आदित्य पुरस्कारों एवं सम्मानों के नेतृत्व में युवा कवियों बीच इस सम्मान का अपना वैशिष्टय है। परिवेश के दल ने अलग अलग गाडियों 53वें अंक में शहर शैलेंद्र चौहान के प्रतिष्ठित होटल रामी साहित्यिक अवदान पर विशेष सामग्री केद्रिंत की ओर प्रस्थान किया । लूलू शापिंग माल जायेगी। 1957 में काउंटर संभाले ओमानी लडकियों की सक्रियता देख कर अच्छा लगा, सब तरफ भारतीय परिवेश, भारतीय लोग और हिन्दी, मानो ओमान मध्यप्रदेश के खरगौन में नहीं दिल्ली में ही घूम रहें हों । इंडियन स्कूल, मस्कट के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष जन्मे श्री द्विवेदी ने बताया कि उनके विद्यालय में बालको में हिन्दी पढने का काफी उत्साह है लेकिन अभिभावक जन की हिन्दी उपेक्षा से वे परेशान दिखाई पडे । ओमान शैलेंद्र चौहान को कविता विरासत के सुल्तान बजाय आत्मान्वेषण और आत्मभिव्यक्ति के निजी होटल अलबूस्तान का बडा हाल जिसकी क्षमता लगभग 1500 है समय से पूर्व ही खचाखच भर गया था कार्यक्रम संघर्ष के संयोजक सरदार साहब दौरान मिली है। निरन्तर सजग होते आत्मबोध ने बडे चुटीले अंदाज में कवि सम्मेलन के स्वागत सत्र का संचालन करते हुये बताया कवि सम्मेलन उनकी रचनाशीलता को ले कर लोगों में सर्वाधिक उत्साह हैप्रखरता और सोद्देश्यता से संपन्न किया है। इसी कारण कविता उनके लिए संपूर्ण सामाजिकता और दायित्व की तलाश है। विचार, श्रोताओं में केवल भारतीय ही नहीं अपितु ओमानी, पाकिस्तानी व बंगलादेशी भी होते है विवेक और फिर शुरु हुआ डा सुनील जोगी बोध उनकी कविता के सधे हुये संचालन अतिरिक्त गुण हैं। जब कविता और कला आधुनिकता की होड़ में कवि सम्मेलननिरन्तर अमूर्त होती जा रही हो, एक ओर जहॉ लखनऊ ऐसे में शैलेंद्र चौहान समाज के सर्वेश अस्थाना ने अपने सांसद व पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी जी हाशिए पर तीखे व्यंग्य बाण छोडे दूसरी ओर राजस्थान पड़े लोगों के संजय झाला ने सोनिया जी दु:ख तकलीफों को निशाना बनाया, राजेश चेतन उनके चेहरों पर पढ़ने की कविता अमरीका के व्हाईट हाऊस पे तिरंगा कोशिश करते हैं। शैलेन्द्र चौहान को भी लोगों ने पसन्द किया, प्रवीण शुक्ल की भूकम्प त्रासदी कविता के साथ ही हंसी ठहाकों के बीच पहले दौर दिया जाने वाला 2007 का कवि सम्मेलन सम्पन्न हुआ।परिवेश सम्मान इसी अनुभव और सजग मानवीय प्रतिबध्दता का सम्मान है।
ठहाकों के बीच दूसरा दौर महेन्द्र अजनबी ने आरम्भ किया, जहां उन्होनें भूत वाली कविता के माध्यम से मानवीय संवेदनाओं पर तीखा प्रहार किया, वही शायर तह्सीन मुनवर ने शहनाई सम्राट बिसमिल्लाह == वर्ष 2007 का 'केदार सम्मान' अनामिका को याद किया । सुनील जोगी == 'केदार शोध पीठ न्यास' बान्दा द्वारा सन् १९९६ से प्रति वर्ष प्रतिष्ठित प्रगतिशील कवि केदारनाथ अग्रवाल की पत्नी सौन्दर्य कविता पर लोग झूम रहे थे और समापन स्मृति में आदित्य जी दिए जाने वाले साहित्यिक 'केदार-सम्मान' की माडर्न शादी कविता घोषणा कर दी गई है। वर्ष २००७ का केदार सम्मान कवयित्री सुश्री अनामिका को उनके काव्य-संग्रह 'खुरदरी हथेलियाँ ' के लिए प्रदान किए जाने का भी लोगों ने भरपूर आनन्द लिया ।निर्णय किया गया है। यह सम्मान प्रतिवर्ष ऐसी प्रतिभाओं को दिया जाता है जिन्होंने केदार की काव्यधारा को आगे बढ़ाने में अपनी रचनाशीलता द्वारा कोई अवदान दिया हो।
इंडियन सोशल क्लब, इंडियन स्कूल, भारत ==फिर खुलेगा 300 साल पुराना पुस्तकालय== औरंगाबाद। औरंगाबाद में ऐतिहासिक वाटर मिल में 40 साल के कवि, भारत सरकार और भारत अंतराल के हिन्दी संगठन यदि मिलकर कार्य करें इस छोटे बाद 300 साल पुराना प्राचीन पुस्तकालय फिर से देश खोला जा रहा है। इस पुस्तकालय में हिन्दी पांडुलिपियों और दुर्लभ पुस्तकों का बडा काम हो सकता अनूठा संग्रह है । ओमान जिसमें मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब आलमगीर द्वारा लिखी गई पवित्र कुरान भी शामिल है। यह पुस्तकालय 18वीं शताब्दी का है जो एशिया के हिन्दी प्रेमियों को साधुवाद।सबसे बड़े पुस्तकालयों में से एक है। महाराष्ट्र वक़्फ़ बोर्ड के प्रयासों से यह फिर से खुलने जा रहा है।
-राजेश चेतन9811048542==हिन्दी में तैयार होंगे 25 विषयों पर विश्वकोष==
==अय्यप्प पणिक्कर नहीं रहे==देश का इकलौता हिन्दी विश्वविद्यालय 25 विषयों के विश्वकोष हिन्दी में तैयार करेगा। इसमें से एक विषय तुलनात्मक साहित्य का विश्वकोष तैयार किया जा चुका है और संपादन पूर्ण होते ही इसे जारी कर दिया जाएगा। विश्वविद्यालय प्रत्येक वर्ष कम से कम तीन विश्वकोष तैयार करेगा। [[चित्र:Ayappa_panikarमहात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति प्रो.jpg|left|thumb|127px|अय्यप्प पणिक्कर [1930-2006]]]मलयालम जी. गोपीनाथन के सुप्रसिद्ध कविअनुसार सभी 25 विश्वकोष हिन्दी सूचना विश्वकोष परियोजना के अंतर्गत तैयार होंगे। जिन्हे बाद में एकीकृत किया जाएगा। इनमें तुलनात्मक साहित्य विश्वकोष सहित विश्वभाषा हिन्दी विश्वकोष, समीक्षक और दार्शनिक डा अय्यप्प पणिक्कर का २३ अगस्त 2006 हिन्दी अनुवाद, जीव विज्ञान, कृषि, अंतरिक्ष, प्रबंधन, सूचना प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, विधि एवं मानवाधिकार, भाषा विज्ञान, संचार-माध्यम, नाट्शास्त्र, ललितकला आदि पर विश्वकोष होंगे। इस परियोजना को त्रिवेंद्रम राष्ट्रीय विश्वकोष संस्थान के रूप में निधन हो गया। वे मलयालम कविता विकसित किया जाएगा। परियोजना से विभिन्न खानानुशासनों में आधुनिक चेतना अनेकानेक विषयों पर अधिकतम प्रामाणिक सूचनाओं का विश्वकोष तैयार किया जा सकेगा। गोपीनाथन के प्रवर्तक माने जाते हैं। उन्होंने अपनी उपस्थिति और रचनात्मक प्रतिभा अनुसार हिन्दी सूचना विश्वकोष परियोजना विश्वकोष नाम से केवल साहित्य ही नहीं बल्कि केरल एक शोध-पत्र का भी प्रकाशन करेगा। इसके अंतर्गत अंक-विशेष के समस्त बुद्धिजीवी समाज को प्रभावित किया। लिए ख्यातनाम विद्वानों से शोध-पत्र लिए जाएंगे। विश्वकोष परियोजना के अलावा विश्व हिन्दी पोर्टल और विश्व हिन्दी संग्रहालय व अभिलेखागार की योजना भी लागू की जानी है। विश्व हिन्दी पोर्टल पर हिन्दी से जुड़ी विश्वभर की गतिविधियां शामिल की जाएगी।
१२ सितंबर १९३० को कावालम ==विश्व-प्रसिद्ध लेखक लियो तोलस्तोय के एक गाँव में जन्मे इस महाकवि की कविताएं 'अय्यप्प पणिक्करुडे कृतिकल' शीर्षक से चार भागों में तथा निबंध 'अय्यप्प पणिक्करुडे लेखनङ्ल्' शीर्षक से पांच भागों में संग्रहित हैं।उपन्यास "हाजी मुराद"==
उन्होंने अमेरिका विश्व-प्रसिद्ध लेखक लियो तोलस्तोय के इंडियाना विश्वविद्यालय उपन्यास "हाजी मुराद" जिसका हिन्दी अनुवाद कथाकार-उपन्यासकार रूपसिंह चंदेल ने किया है और जो संवाद प्रकाशन, मेरठ से अंग्रेज़ी साहित्य पुस्तक रूप में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद येल व हार्वर्ड विश्वविद्यालयों में उच्चतर शोध कार्य किया। १९६५ में वे केरल विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी के प्राध्यापक नियुक्त हुए तथा विभागाध्यक्ष बन कर सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने अनेक ग्रंथों प्रकाशित हो चुका है, का कुशल संपादन किया, जिनमें शेक्सपियर धारावाहिक प्रकाशन ब्लाग पत्रिका "साहित्य सृजन" के संपूर्ण फरवरी 2008 अंक से प्रारंभ होने जा रहा है। "साहित्य सृजन" का मलयालम अनुवाद और समस्त मध्ययुगीन भारतीय साहित्य फरवरी अंक 28 फरवरी को जारी होगा। हिन्दी के पाठक अब http://www.sahityasrijan.blogspot.com/ पर 28 फरवरी से इस उपन्यास का अंग्रेज़ी अनुवाद अत्यंत महत्वपूर्ण समझे जाते हैं। वे अपने जीवनकाल में अनेक साहित्यिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक संस्थाओं के पदाधिकारी भी रहे।धारावाहिक आनन्द ले सकेंगे।
इन विशिष्ट साहित्यिक सेवाओं के लिए उन्हें देश विदेश के अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें एक से अधिक साहित्य ==अमरकांत समेत 24 लेखकों को अकादमी पुरस्कार, भारत सरकार का पद्मश्री [२००४], तथा सरस्वती सम्मान [2006] प्रमुख हैं।==
==राजेश चेतन काव्य नई दिल्ली। हिंदी के वयोवृद्ध लेखक एवं स्वंतत्रता सेनानी अमरकांत, उर्दू के आलोचक वहाब अशरफी और मैथिली के लेखक प्रदीप बिहारी समेत 24 भारतीय भाषाओं के साहित्यकारों को बुधवार को साहित्य अकादमी पुरस्कार==से नवाजा गया।
[[चित्र:000001.jpg|thumb|right| डा. रमाकान्त शर्मा दरअसल अमरकांत को उनकी अनुपस्थिति में यह पुरस्कार लेते हुए]]'''सांस्कृतिक मंच, भिवानी द्वारा युवा गीतकार डा. रमाकान्त शर्मा प्रदान किया गया। वह अस्वस्थ होने के कारण समारोह में भाग लेने के लिए नहीं आ सके। बांग्ला के मशहूर लेखक सुनील गंगोपाध्याय ने एक गरिमामय समारोह में इन लेखकों को ‘राजेश चेतन काव्य पुरस्कार’'''वर्ष 2007 के अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया।
भिवानी ८ अगस्त २००६पुरस्कार में प्रत्येक लेखक को 50-50 हजार रुपये, सांस्कृतिक मंचएक प्रशस्ति पत्र, भिवानी द्वारा भिवानी में जन्मे अंतर्राष्ट्रीय कवि श्री राजेश चेतन के जन्मदिन पर उनके नाम से एक पुरस्कार आरंभ प्रतीक चिह्न और शॉल भेंट किया गया। नेकीराम शर्मा सभागार उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में आयोजित इस कार्यक्रम में श्री महेन्द्र कुमार, उपायुक्त्त भिवानी मुख्य अतिथि जन्में अमरकांत को उनके चर्चित उपन्यास इन्हीं हथियारों से के रुप मे उपस्थित थे व बी टी एम लिए यह पुरस्कार दिया गया जो 1942 के महाप्रबंधक श्री राजेन्द्र कौशिक ने समारोह भारत छोडो आंदोलन की अध्यक्षता की, साहित्य अकादमी हरियाणा के निर्देशक श्री राधेश्याम शर्मा के सान्निध्य व श्री राजेश चेतन की उपस्थिति में युवा गीतकार डा. रमाकान्त शर्मा को ‘राजेश चेतन काव्य पुरस्कार’ अर्पित किया गया। पृष्ठभूमि पर आधारित है।
पुरस्कार वितरण इस बार बिहार के बाद एक कवि सम्मेलन का आयोजन भी दो लेखकों सर्वश्री वहाब अशरफी और प्रदीप बिहारी को अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया जिसमें पूज्यसंत मुनि जयकुमार, श्री महेन्द्र गया। उडिया लेखक दीपक मिश्र और तेलुगु लेखक गाडियाराम रामकृष्ण शर्मा, श्री गजेन्द्र सोलंकी, डा. रश्मि बजाज, श्रीमती अनीता नाथ तथा अरुण मित्तल ‘अद्भुत’ ने काव्य पाठ किया। कवि सम्मेलन का संचालन प्रख्यात कवि श्री गजेन्द्र सोलंकी ने को मरणोपरांत यह पुरस्कार प्रदान किया तथा धन्यवाद ज्ञापन संस्था के महामंत्री श्री जगतनारायण ने किया। गया।
समारोह में सर्वश्री बुद्धदेव आर्यशेष पुरस्कृत लेखक इस प्रकार है: हरिदत्त शर्मा संस्कृत, गिरधरकुंदनमाली राजस्थानी, डा आर डी शर्मारतनलाल शांत कश्मीरी, भारत भूषण जैनराजेन्द्र शुक्ल गुजराती, सुरेंद्र जैनमालती राव अंग्रेजी, सज्जन एडवोकेट वासुदेव निर्मल सिंधी, लक्ष्मण श्रीमल नेपाली, गो मा पवार मराठी, ज्ञान सिंह मगोच डोगरी, अनिल कुमार ब्रह्म बोडो, समरेन्द्र सेनगुप्त बांग्ला, पुरवी बरमुदै असमिया, कु. वीर भ्रदप्पा कन्नड, देवीदास रा. कदम कोंकणी, जसवंत दीद पंजाबी, खेरवाल सोरेन संथाली, नील पट्टयनाभन तमिल, ए. सेतुमाधवन सेतु मलयालम और बी एम माइस्नाम्बा मणिपुरी। समारोह की विशिष्ट उपस्तिथि नें मुख्य अतिथि राज्यसभा की मनोनीत सदस्य एवं प्रख्यात संस्कृति कर्मी कपिला वात्स्यायन थी। समारोह को गरिमा प्रदान की अध्यक्षता नारंग ने की।