{{KKRachna
|रचनाकार=अरविन्द श्रीवास्तव
|संग्रह=राजधानी में एक उज़बेक लड़की / अरविन्द श्रीवास्तव
}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>
बताओ, कहाँ मारना है ठप्पा
कहाँ लगाने हैं निशान
तुम्हारे सफ़ेद--धवल सफ़ेद—धवल काग़ज़ पर
हम उगेंगे बिल्कुल अंडाकार
पसीने की स्याही में ।
</poem>