Changes

}}
{{KKCatKavita}}
[[Category:लम्बी रचना]]{{KKCatPad}}
{{KKPageNavigation
|पीछे=विनयावली() / तुलसीदास / पृष्ठ 1|आगे=विनयावली / तुलसीदास / पद 11 से 20 तक / तुलसीदास / पृष्ठ 2
|सारणी=पद 11 से 20 तक / तुलसीदास
}}
कालकालं, कलातीतमजरं, हरं, कठिन-कलिकाल-कानन-कृशानुं।।
तज्ञमज्ञान-पाथोधि-घटसंभवं, सर्वगं, सर्वसौभाग्यमूलं।
प्रचुर-भव-भंजनं, प्रणत-जन-रंजनं, दास तुलसी शरण सानुकूलं।।
<poem>
Mover, Reupload, Uploader
7,916
edits