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"सीढ़ियों पर / कंस्तांतिन कवाफ़ी" के अवतरणों में अंतर

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फिर मुड़ गया था मैं शक़्ल छुप गई थी मेरी
 
फिर मुड़ गया था मैं शक़्ल छुप गई थी मेरी
  
बड़ी तेज़ी से गुज़री थीं तुम छिपाकर चेहरा
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बड़ी तेज़ी से गुज़री थी तू छिपाकर चेहरा
 
घुसी थीं उस घर में जो बदनाम था बड़ा
 
घुसी थीं उस घर में जो बदनाम था बड़ा
जहाँ पा नहीं सकती थीं तुम सुख वह बहुतेरा
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जहाँ पा नहीं सकती थी तू सुख वह बहुतेरा
 
जो पाता था मैं वहाँ, उस घर में खड़ा-खड़ा
 
जो पाता था मैं वहाँ, उस घर में खड़ा-खड़ा
  
मैंने दिया प्रेम तुम्हें वैसा, जैसा तुमने चाहा
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मैंने दिया प्रेम तुझे वैसा, जैसा तूने चाहा
थके हुए बदन से तुमने भी मुझ पर प्रेम लुटाया
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थकी हुई आँखों से तूने भी मुझ पर प्रेम लुटाया
 
बदन हमारे जल रहे थे, एक-दूजे को दाहा
 
बदन हमारे जल रहे थे, एक-दूजे को दाहा
 
पर घबराए हम पड़े हुए थे, कोई न कुछ कर पाया  
 
पर घबराए हम पड़े हुए थे, कोई न कुछ कर पाया  

03:46, 23 जून 2012 के समय का अवतरण

उन बदनाम सीढ़ियों से नीचे उतर रहा था जब
तभी पल भर को झलक देखी थी तेरी
दो अनजान चेहरों ने एक-दूजे को देखा था तब
फिर मुड़ गया था मैं शक़्ल छुप गई थी मेरी

बड़ी तेज़ी से गुज़री थी तू छिपाकर चेहरा
घुसी थीं उस घर में जो बदनाम था बड़ा
जहाँ पा नहीं सकती थी तू सुख वह बहुतेरा
जो पाता था मैं वहाँ, उस घर में खड़ा-खड़ा

मैंने दिया प्रेम तुझे वैसा, जैसा तूने चाहा
थकी हुई आँखों से तूने भी मुझ पर प्रेम लुटाया
बदन हमारे जल रहे थे, एक-दूजे को दाहा
पर घबराए हम पड़े हुए थे, कोई न कुछ कर पाया
 
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय