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यूँ ही तो नहीं / अरुणा राय

3 bytes added, 17:57, 16 जुलाई 2012
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भावप्रवण आखों आँखों वाले मेरे आत्ममुग्ध प्रिय !
तुम क्यों इस तरह बार-बार मुझसे विमुख हो जाते हो ?
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