गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
यूँ ही तो नहीं / अरुणा राय
3 bytes added
,
17:57, 16 जुलाई 2012
{{KKCatKavita}}
<poem>
भावप्रवण
आखों
आँखों
वाले मेरे आत्ममुग्ध प्रिय !
तुम क्यों इस तरह बार-बार मुझसे विमुख हो जाते हो ?
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,035
edits