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"हाइकु नवगीत / जगदीश व्योम" के अवतरणों में अंतर
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महानाश का | महानाश का | ||
विकट राग फिर | विकट राग फिर | ||
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पागल आंधी | पागल आंधी | ||
− | आज उगाने | + | आज उगाने- |
− | घर घर में | + | होंगे घर-घर में |
युग के गांधी | युग के गांधी | ||
19:11, 17 जुलाई 2012 के समय का अवतरण
छिड़ता युद्ध
बिखरता त्रासद
इंसां रोता है
जन- संशय
त्रासदी ओढ़कर
आगे आया है
महानाश का
विकट राग फिर
देखो गाया है
पल में नाश
सृजन सदियों का
ऐसे होता है
बाट जोहती
थकित मनुजता
ले टूटी कश्ती
भय की छाया
व्यथित विकलता
औ फाकामस्ती
दंभ जनित
कंकाल सृजन के
कोई ढोता है
उठो मनुज
रोकनी पड़ेगी, ये
पागल आंधी
आज उगाने-
होंगे घर-घर में
युग के गांधी
मिलता व्योम
विरासत में, युग
जैसा बोता है