Changes

{{KKRachna
|रचनाकार=अज्ञेय
|संग्रह=इत्यलम् / अज्ञेय
}}
{{KKCatKavita}}
भव सारा तुझपर है स्वाहा सब कुछ तप कर अंगार बने-
तेरी पुकार सा दुर्निवार मेरा यह नीरव प्यार बने
 
'''बड़ोदरा, 15 जुलाई, 1937'''
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,333
edits