भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आलाप में गिरह (कविता) / गीत चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गीत चतुर्वेदी }} जाने कितनी बार टूटी लय जाने कितनी बार ...)
 
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=गीत चतुर्वेदी
 
|रचनाकार=गीत चतुर्वेदी
 +
|संग्रह=आलाप में गिरह / गीत चतुर्वेदी
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 
जाने कितनी बार टूटी लय
 
जाने कितनी बार टूटी लय
 
 
जाने कितनी बार जोड़े सुर
 
जाने कितनी बार जोड़े सुर
 
 
हर आलाप में गिरह पड़ी है
 
हर आलाप में गिरह पड़ी है
 
  
 
कभी दौड़ पड़े तो थकान नहीं  
 
कभी दौड़ पड़े तो थकान नहीं  
 
+
और कभी बैठे-बैठे ही ढह गए
और कभी बैठे-बैठे ही टप् से गिर पड़े
+
मुक़ाबले में इस तरह उतरे कि अगले को दया आ गई
 
+
मुक़ाबले में इस तरह उतरे कि उसे दया आ गई
+
 
+
 
और उसने ख़ुद को ख़ारिज कर लिया
 
और उसने ख़ुद को ख़ारिज कर लिया
 
+
थोड़ी-सी हँसी चुराई
थोड़ी-सी हंसी चुराई
+
 
+
 
सबने कहा छोड़ो भी
 
सबने कहा छोड़ो भी
 
  
 
और हमने छोड़ दिया
 
और हमने छोड़ दिया
 +
</poem>

21:22, 28 जुलाई 2012 के समय का अवतरण

जाने कितनी बार टूटी लय
जाने कितनी बार जोड़े सुर
हर आलाप में गिरह पड़ी है

कभी दौड़ पड़े तो थकान नहीं
और कभी बैठे-बैठे ही ढह गए
मुक़ाबले में इस तरह उतरे कि अगले को दया आ गई
और उसने ख़ुद को ख़ारिज कर लिया
थोड़ी-सी हँसी चुराई
सबने कहा छोड़ो भी

और हमने छोड़ दिया