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00:57, 25 अक्टूबर 2007 के समय का अवतरण
(आभा के लिए)
आएगा वह दिन भी
जब हम एक ही चूल्हे से
आग तापेंगे।
आएगा वह दिन भी
जब मेरा बुखार उतरता-चढ़ता रहेगा
और तुम छटपटाती रहोगी रात भर।
अभी यह पृथ्वी
हमारी तरह युवा है
अभी यह सूर्य महज तेईस-चौबीस साल का है
हमारी ही तरह
,
इकतीस दिसंबर की गुनगुनी धूप की तरह
देर-सबेर आएगा वह दिन भी
जब किलकारियों से भरा
हमारा घर होगा कहीं।