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"जब पपीहे ने पुकारा / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर
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− | जब पपीहे ने पुकारा-- | + | जब पपीहे ने पुकारा-- मुझे दीखा-- |
दो पँखुरियाँ झरीं गुलाब की, तकती पियासी | दो पँखुरियाँ झरीं गुलाब की, तकती पियासी | ||
− | + | पिया-से ऊपर झुके उस फ़ूल को | |
− | पिया | + | ओठ ज्यों ओठों तले। |
− | + | मुकुर मे देखा गया हो दृश्य पानीदार आँखों के। | |
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हँस दिया मन दर्द से-- | हँस दिया मन दर्द से-- | ||
’ओ मूढ! तूने अब तलक कुछ नहीं सीखा।’ | ’ओ मूढ! तूने अब तलक कुछ नहीं सीखा।’ | ||
− | जब पपीहे ने पुकारा | + | जब पपीहे ने पुकारा- मुझे दीखा। |
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+ | '''इलाहाबाद, १ अगस्त, १९४८''' | ||
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12:43, 6 अगस्त 2012 के समय का अवतरण
जब पपीहे ने पुकारा-- मुझे दीखा--
दो पँखुरियाँ झरीं गुलाब की, तकती पियासी
पिया-से ऊपर झुके उस फ़ूल को
ओठ ज्यों ओठों तले।
मुकुर मे देखा गया हो दृश्य पानीदार आँखों के।
हँस दिया मन दर्द से--
’ओ मूढ! तूने अब तलक कुछ नहीं सीखा।’
जब पपीहे ने पुकारा- मुझे दीखा।
इलाहाबाद, १ अगस्त, १९४८