{{KKRachna
|रचनाकार=अज्ञेय
|संग्रह=अरी ओ करुणा प्रभामय / अज्ञेय; सुनहरे शैवाल / अज्ञेय
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{{KKCatKavita}}<poem>
अंकुरित धरा से क्षमा
व्योम से झरी रुपहली करुणा
सरि, सागर, सोते-निर्झर-सा
उमड़े जीवन :
कहीं नहीं है मरना ।
कहीं नहीं है मरना ।'''नारा, जापान, 6 सितम्बर, 1957'''</poem>