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"खिसक गयी है धूप / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर
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पैताने से धीरे-धीरे | पैताने से धीरे-धीरे | ||
खिसक गयी है धूप। | खिसक गयी है धूप। |
16:53, 9 अगस्त 2012 के समय का अवतरण
पैताने से धीरे-धीरे
खिसक गयी है धूप।
सिरहाने रखे हैं
पीले गुलाब।
क्या नहीं तुम्हें भी
दिखा इनका जोड़-
दर्द तुम में भी उभरा?