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नयी रश्मियाँ आयें / गुलाब खंडेलवाल
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15:40, 29 अगस्त 2012
पक्षी नए स्वरों में बोलें
वन-वन नवल समीरण डोलें
नव प्रसून लहरायें
नव नक्षत्रलोक से चलकर
Vibhajhalani
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