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[[जब सूरज जग जाता है /रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’]]
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कविता कोश में संकलित बच्चों के लिये रचित काव्य में से अधिकतर की कड़ियाँ नीचे दी गयी हैं।
{{KKGlobal}}
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<table style="width:100%">
{{KKRachna /रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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<tr><td>
 
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* [[चिड़ियों का बाज़ार]]
}}
+
* [[आ जा री निंदिया आ जा (लोरी)]]
 
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* [[चंपा और चमेली]]
आँखें मलकर धीरे-धीरे <br>
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</td></tr>
 
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</table>
सूरज जब जग जाता है ।<br>
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सिर पर रखकर पाँव अँधेरा <br>
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चुपके से भग जाता है ।<br>
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हौले से मुस्कान बिखेरी <br>
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पात सुनहरे हो जाते ।<br>
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डाली-डाली फुदक-फुदक कर<br>
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सारे  पंछी  हैं  गाते  ।<br>
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थाल भरे मोती ले करके<br>
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धरती स्वागत करती है ।<br>
+
 
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नटखट किरणें वन-उपवन में<br>
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खूब चौंकड़ी भरती हैं ।<br>
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कल-कल बहती हुई नदी में <br>
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सूरज खूब नहाता है<br>
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कभी तैरता है लहरों पर<br>
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डुबकी कभी लगाता है ।<br>
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12:09, 9 मार्च 2013 के समय का अवतरण

कविता कोश में संकलित बच्चों के लिये रचित काव्य में से अधिकतर की कड़ियाँ नीचे दी गयी हैं।

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आ आगे.

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