"परिचय / दिनकर कुमार" के अवतरणों में अंतर
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12:13, 12 मार्च 2013 का अवतरण
हवा ने बीज से नहीं पूछा था
उसकी जाति के बारे में
उसके प्रान्त के बारे में
उसकी मातृभाषा के बारे में
और हवा
बीज को उड़ाकर ले आई थी
बीज मिट्टी के साथ
घुल-मिल गया था और
एक फूल के पौधे के रूप में
अंकुरित हुआ था
हवा की तरह चिडिय़ा भी
बीज से नहीं पूछती
निर्धारित प्रपत्र के प्रश्न
हवा की तरह चिडिय़ा भी
बीज से नहीं माँगती
सच्चे-झूठे प्रमाण-पत्र
और मनुष्य जड़ की तलाश में
उन्मादित हो जाता है
अतीत के मुर्दाघर में भटकता है
हवा की तरह
चिडिय़ा की तरह
और मिट्टी की तरह
सहज नहीं रह जाता
खून के लाल रंग को भूलकर
पीले और नीले
काले और भूरे रंग के भ्रम में
पंचतंत्र का शेर बन जाता है
मेमने पर पानी गंदा करने का
आरोप लगाता है
मेमने की सफ़ाई सुनकर
उसके पूर्वज को दोषी बताता है
और मेमने को दंडित करता है ।