गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
पीपल / त्रिलोचन
521 bytes removed
,
14:24, 21 अक्टूबर 2007
चोट जभी लगती है
तभी हँस देता हूँ
देखनेवालों की आँखें
उस हालत में
देखा ही करती हैं
आँसू नहीं लाती हैं
और
जब पीड़ा बढ़ जाती है
बेहिसाब
तब
जाने-अनजाने लोगों में
जाता हूँ
उनका हो जाता हूँ
हँसता हँसाता हूँ।
दूसरी कविता
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,423
edits