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सम्भावनाएँ / अज्ञेय
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06:35, 22 मार्च 2013
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<poem>
अब आप हीं सोचिये कि कितनी
सम्भावनाएं
सम्भावनाएँ
हैं
कि मैं आप पर हँसूं और आप मुझे पागल करार दे दें.
याकि आप मुझ पर हँसें और आप हीं मुझे पागल करार दे दें.
Sharda suman
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