{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=पाश|संग्रह=}}[[Category:पंजाबी भाषा]]{{KKCatKavita}}<poem>मैं घास हूंहूँमैं आपके हर किए -धरे पर उग आउंगाआऊँगा
बम फेंक दो चाहे विश्वविद्यालय पर
बना दो होस्टल को मलबे का ढेर
सुहागा फिरा दो भले ही हमारी झोपडि़यों झोपड़ियों परमुझे मेरा क्या करोगेमैं तो घास हूं हूँ हर चीज चीज़ पर उग आउंगाआऊँगा
बंगे को ढेर कर दो
संगरूर मिटा डालो
धूल में मिला दो लुधियाना जिलाज़िला
मेरी हरियाली अपना काम करेगी...
दो साल... दस साल बाद
सवारियां सवारियाँ फिर किसी कंडक्टर से पूछेंगीयह कौन -सी जगह है
मुझे बरनाला उतार देना
जहां जहाँ हरे घास का जंगल है मैं घास हूंहूँ, मैं अपना काम करूंगाकरूँगामैं आपके हर किए -धरे पर उग आउंगा।आऊँगा ।</poem>