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किसी बेरहम के सताये हुए हैं / गुलाब खंडेलवाल
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19:43, 19 अप्रैल 2013
अँधेरे बहुत सर उठाये हुए हैं
जहां
जहाँ
चाँद, सूरज है, तारें हैं लाखों
दिया एक हम भी जलाये हुए हैं
Vibhajhalani
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