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|रचनाकार=पवन कुमार|संग्रह=वाबस्ता / पवन कुमार
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किस किस तरह से दोस्तो बीती है जि’न्दगी
दरिया सी चढ़ के, बाढ़ सी उतरी है जि’न्दगी
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