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"गुड़िया-2 / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर

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<poem>जिंदा रहती है
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लड़की में गुड़िया
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|रचनाकार=नीरज दइया
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{{KKCatKavita‎}}<poem>मेरा चूमना
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और तुम्हारा
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खुद को यूं हवाले
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कर देना।
  
जिंदा रहती है
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मेरा गले लगाना
औरत में लड़की
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और तुम्हारा
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खुद को बेसहारा
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छोड़ देना।
  
अंत में वह गुड़िया
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प्यारा में तुम
बन जाती है बुढ़िया !
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क्यों बन जाती हो
 
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निर्जीव!</poem>
</poem>
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06:22, 16 मई 2013 के समय का अवतरण

मेरा चूमना
और तुम्हारा
खुद को यूं हवाले
कर देना।

मेरा गले लगाना
और तुम्हारा
खुद को बेसहारा
छोड़ देना।

प्यारा में तुम
क्यों बन जाती हो
निर्जीव!