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"इंतज़ार-1 / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर

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तुम्हारे ना कहने के बाद भी
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कुछ कहा था मैंने!
क्यों है
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क्या कहा था मैंने?
तुम्हारा इंतज़ार
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कुछ शब्द थे
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चाहता था जिनको कहना!
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जान लिए कैसे तुमने
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बिना कहे ही....
  
लगता है कि तुम आओगी
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तुम्हारी सुनकर- ‘नहीं’
बार-बार आहट सुनता हूँ
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क्यों करता हूं- इंतजार?
और खोलकर देखता हूँ-
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लगता है कि तुम आओगी!
 
+
बार बार सुनता हूं आहट
घर का दरवाज़ा
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इंतजार में तुम्हारे
इंतज़ार में तुम्हारे
+
मैं बन गया हूं- दरवाजा!
अब मैं ही बन गया हूँ दरवाज़ा
+
अब इस निर्जीव को
और खड़ा हूँ घर के बाहर
+
तुम्हारे स्पर्श का इंतजार है....
 
+
इंतज़ार में ठहर गई है ज़िदगी
+
मुझ निर्जीव को
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तुम्हारे स्पर्श का इंतज़ार है
+
 
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06:24, 16 मई 2013 के समय का अवतरण

कुछ कहा था मैंने!
क्या कहा था मैंने?
कुछ शब्द थे
चाहता था जिनको कहना!
जान लिए कैसे तुमने
बिना कहे ही....

तुम्हारी सुनकर- ‘नहीं’
क्यों करता हूं- इंतजार?
लगता है कि तुम आओगी!
बार बार सुनता हूं आहट
इंतजार में तुम्हारे
मैं बन गया हूं- दरवाजा!
अब इस निर्जीव को
तुम्हारे स्पर्श का इंतजार है....