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"इंतज़ार-1 / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर
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06:24, 16 मई 2013 के समय का अवतरण
कुछ कहा था मैंने!
क्या कहा था मैंने?
कुछ शब्द थे
चाहता था जिनको कहना!
जान लिए कैसे तुमने
बिना कहे ही....
तुम्हारी सुनकर- ‘नहीं’
क्यों करता हूं- इंतजार?
लगता है कि तुम आओगी!
बार बार सुनता हूं आहट
इंतजार में तुम्हारे
मैं बन गया हूं- दरवाजा!
अब इस निर्जीव को
तुम्हारे स्पर्श का इंतजार है....