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− | अनुभूतियाँ
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− | एक हताश व्यक्ति की
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− | [1]
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− | वेदना ओढ़े कहाँ जाएँ!
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− | उठ रहीं लहरें अभोगे दर्द की
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− | कैसे सहज बन मुस्कुराएँ!
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− | रुँधा है कंठ
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− | कैसे गीत में उल्लास गाएँ!
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− | टूटे हाथ जब
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− | कैसे बजाएँ साज़,
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− | सन्न हैं जब पैर
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− | कैसे झूम कर नाचें व थिरकें आज!
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− | खंडित ज़िंदगी —
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− | टुकड़े समेटे, अंग जोड़े, लड़खड़ाते
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− | रे कहाँ जाएँ!
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− | दिशा कोई हमें
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− | हमदर्द कोई तो बताए!
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− | [2]
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− | अपना बसेरा छोड़ कर
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− | अब हम कहाँ जाएँ?
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− | नहीं कोई कहीं —
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− | अपना समझ
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− | जो राग से / सच्चे हृदय से
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− | मुक्त अपनाए!
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− | देखते ही तन
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− | गले में डाल बाहें झूम जाए,
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− | प्यार की लहरें उठें
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− | जो शीर्ण इस अस्तित्व को
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− | फिर-फिर समूचा चूम जाए!
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− | शेष, हत वीरान यह जीवन
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− | सदा को पा सके निस्तार,
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− | ऐसी युक्ति कोई तो बताए!
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− | [3]
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− | बेहद खूबसूरत थी हमारी ज़िंदगी;
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− | लेकिन अचानक एक दिन
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− | यों बदनुमा … बदरंग कैसे हो गयी?
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− | भूल कर भी;
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− | जब नहीं की भूल कोई
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− | फिर भुलावों-भटकनों में
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− | राह कैसे खो गयी?
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− | रे, अब कहाँ जाएँ,
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− | इस ज़िंदगी का रूप-रस फिर
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− | कब … कहाँ पाएँ?
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− | अधिक अच्छा यही होगा
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− | हमेशा के लिए
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− | चिर-शांति में चुपचाप सो जाएँ!
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− | [4]
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− | पछ्तावा ही पछ्तावा है!
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− | मन / तीव्र धधकता लावा है!
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− | जब-तब चट-चट करते अंगारों का
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− | मर्मान्तक धावा है!
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− | संबंध निभाते,
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− | अपनों को अपनाते / गले लगाते,
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− | उनके सुख-दुख में जीते कुछ क्षण,
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− | करते सार्थक रीता जीवन!
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− | लेकिन सब व्यर्थ गया,
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− | कहते हैं — होता है फिर-फिर जन्म नया,
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− | पर, लगता यह सब बहलावा है!
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− | सच, केवल पछ्तावा है!
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− | शेष छ्लावा है!
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− | [5]
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− | इस ज़िंदगी को
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− | यदि पुनः जीया जा सके —
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− | तो शायद
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− | सुखद अनुभूतियों के फूल खिल जाएँ!
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− | हृदय को
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− | राग के उपहार मिल जाएँ!
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− | आत्मा में मनोरम कामनाओं की
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− | सुहानी गंध बस जाए
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− | दूर कर अंतर / परायापन
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− | कि सब हो एकरस जाएँ!
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− | किंतु क्या संभव पृथक होना
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− | अतीत-व्यतीत से,
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− | इतिहास के अभिलेख से,
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− | पूर्व-अंकित रेख से?
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− | [6]
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− | दिल भारी है, बेहद भारी है;
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− | पग-पग पर लाचारी है!
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− | रो लें,
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− | मन-ही-मन रो लें,
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− | एकांत क्षणों में रो लें!
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− | असह घुटन है, बड़ी थकन है!
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− | हलके हो लें,
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− | हाँ, कुछ हलके हो लें!
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− | रुदन — मनुज का जनम-जनम का साथी है,
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− | स्वार्थी है,
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− | स्व-हित साधक है / संरक्षक है !
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− | रो लें! / सारा कल्म्ष धो लें!
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− | रोना — स्वाभाविक है, नैसर्गिकहै!
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− | रोना — जीवन का सच है,
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− | रक्षा-मंत्र कवच है!
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− | [7]
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− | असह है, आह!
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− | प्रीति का निर्वाह —
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− | छ्ल-छदम मय,
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− | मिथ्या … भुलावा
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− | झूठ … मायाजाल!
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− | तब यह ज़िंदगी —
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− | गदली - कुरूपा अति भयावह
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− | धधकता दाह!
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− | [8]
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− | गवाँ सब,
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− | बेमुरौवत धूर्त दुनिया में
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− | अकेले रह गये,
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− | सचाई महज़ कहना चाहते थे
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− | और ही कुछ कह गये,
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− | जिसे समझा किये अपना
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− | उसी ने मर्मघाती चोट की,
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− | उसी की बेवफ़ाई हम
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− | अरे, खामोश कैसे सह गये!
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− | [9]
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− | रौरव नरक-कुंड में
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− | मर-मर जीना कैसा लगता है
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− | कोई हमसे पूछे!
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− | सोचे-समझे, मूक विवश बन
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− | विष के पैमाने पीना कैसा लगता है
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− | कोई हमसे पूछे!
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− | हृदयाघातों को सह कर हँस-हँस
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− | अपने हाथों, अपने घावों को
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− | सीना कैसा लगता है
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− | कोई हमसे पूछे!
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− | [10]
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− | बहुत प्यासा हूँ / प्यासा बहुत हूँ!
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− | ज़िंदगी — बेहद उदास-हताश है,
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− | ग़मगीन है मन
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− | विरक्त / उजाड़ / उचाट!
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− | बुझती नहीं प्यास
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− | कंठ-चुभती प्यास / बुझती नहीं!
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− | प्यासा रहा भर-ज़िंदगी
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− | ख़ूब तड़का / ख़ूब तड़पा-छ्टपटाया …
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− | भागा / बेतहाशा
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− | इस मरुभूमि … उस मरूभूमि भागा,
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− | जहाँ भी, ज़रा भी दी दिखाई आस
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− | भागा!
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− | बुझाने प्यास
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− | सब सहता रहा; दहता रहा
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− | लपट-लपट घिर,
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− | सिर से पैर तक
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− | गलता-पिघलता रहा!
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− | अतृप्त अबुझ सनातन प्यास ले
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− | एक दिन दम तोड़ दूंगा,
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− | रसों डूबी / नहायी तर-बतर
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− | रंगीन दुनिया छोड़ दूंगा!
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− | [11]
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− | जीवन चाहता जैसा
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− | उसे पाने
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− | अभी भी मैं प्रतीक्षा में!
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− | सहज हो जी रहा
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− | इस आस पर, विश्वास पर
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− | जैसा कि जीवन चाहता —
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− | आएगा … ज़रूर-ज़रूर आएगा
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− | एक दिन!
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− | चाहता जो गीत मैं गाना
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− | विकल रचना-चेतना में
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− | भावना-विह्वल
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− | सजग जीवित रहेगा,
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− | और उतरेगा उसी लय में
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− | किसी भी क्षण
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− | जिस तरह मैं
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− | चाहता हूँ गुनगुनाना!
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− | ऊमस-भरा
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− | बदला नहीं मौसम,
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− | वांछित
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− | बरसता नेह का सावन नहीं आया,
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− | वांछित
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− | सरस रंगों भरा माधव नहीं छाया,
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− | फुहारो! मोह-रागो!
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− | बाट जोहूंगा तुम्हारी,
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− | एक दिन
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− | सच, रिमझिमाएगा
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− | अनेक-अनेक मेघों से लदा आकाश!
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− | दहकेंगे हज़ारों लाल-लाल पलाश!
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