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अछूत की शिकायत / हीरा डोम

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हाय राम! धसरम न छोड़त बनत बा जे,
बे-धरम होके कैसे मुंहवा दिखइबि ।।१।।
 
खंभवा के फारी पहलाद के बंचवले।
कहंवा सुतल बाटे सुनत न बाटे अब।
डोम तानि हमनी क छुए से डेराले ।।२।।
 
हमनी के राति दिन मेहत करीजां,
मुँह बान्हि ऐसन नौकरिया करत बानीं,
ई कुल खबरी सरकार के सुनाइबि ।।३।।
 
बभने के लेखे हम भिखिया न मांगबजां,
अहिरा के लेखे न कबित्त हम जोरजां,
पबड़ी न बनि के कचहरी में जाइबि ।।४।।
 
अपने पहसनवा कै पइसा कमादबजां,
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