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"आत्मबोध / कन्हैयालाल नंदन" के अवतरणों में अंतर

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यह सब कुछ मेरी आंखों के सामने हुआ!
  
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आसमान टूटा,
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उस पर टंके हुये
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देखते-देखते दूब के दलों का रंग
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पीला पड़ गया
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फूलों का गुच्छा सूख कर खरखराया.
  
यह सब कुछ मेरी आंखों के सामने हुआ!<br><br>
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और ,यह सब कुछ मैं ही था
 
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यह मैं
आसमान टूटा,<br>
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बहुत देर बाद जान पाया.
उस पर टंके हुये<br>
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ख्वाबों के सलमे-सितारे<br>
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बिखरे.<br>
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पीला पड़ गया<br>
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फूलों का गुच्छा सूख कर खरखराया.<br><br>
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और ,यह सब कुछ मैं ही था<br>
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यह मैं<br>
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बहुत देर बाद जान पाया.<br>
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09:49, 1 जुलाई 2013 के समय का अवतरण

यह सब कुछ मेरी आंखों के सामने हुआ!

आसमान टूटा,
उस पर टंके हुये
ख्वाबों के सलमे-सितारे
बिखरे.
देखते-देखते दूब के दलों का रंग
पीला पड़ गया
फूलों का गुच्छा सूख कर खरखराया.

और ,यह सब कुछ मैं ही था
यह मैं
बहुत देर बाद जान पाया.