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"मोको कहां / कबीर" के अवतरणों में अंतर
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(New page: रचनाकार: कबीर Category:कविताएँ Category:कबीर ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~* मोको कहां ढूढें...) |
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ना मैं बकरी ना मैं भेडी ना मैं छुरी गंडास मे । | ना मैं बकरी ना मैं भेडी ना मैं छुरी गंडास मे । | ||
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मै तो रहौं सहर के बाहर मेरी पुरी मवास मे | मै तो रहौं सहर के बाहर मेरी पुरी मवास मे | ||
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कहै कबीर सुनो भाई साधो सब सांसो की सांस मे ॥ | कहै कबीर सुनो भाई साधो सब सांसो की सांस मे ॥ |
13:17, 7 जुलाई 2013 के समय का अवतरण
मोको कहां ढूढें तू बंदे मैं तो तेरे पास मे ।
ना मैं बकरी ना मैं भेडी ना मैं छुरी गंडास मे ।
नही खाल में नही पूंछ में ना हड्डी ना मांस मे ॥
ना मै देवल ना मै मसजिद ना काबे कैलाश मे ।
ना तो कोनी क्रिया-कर्म मे नही जोग-बैराग मे ॥
खोजी होय तुरंतै मिलिहौं पल भर की तलास मे
मै तो रहौं सहर के बाहर मेरी पुरी मवास मे
कहै कबीर सुनो भाई साधो सब सांसो की सांस मे ॥