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कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास | कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास | ||
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दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद | दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद | ||
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चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद | चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद | ||
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− | कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के | + | </poem> |
− | + | रचनाकाल : 1952 | |
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09:39, 9 जुलाई 2013 के समय का अवतरण
कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त।
दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद
धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद
चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद
कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद।
रचनाकाल : 1952