भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"फ़िसलना / पाब्लो नेरूदा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=पाब्लो नेरूदा |संग्रह=नायक का गीत/ पाब्लो नेरूदा }} [[Ca...)
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=नायक का गीत/ पाब्लो नेरूदा
 
|संग्रह=नायक का गीत/ पाब्लो नेरूदा
 
}}
 
}}
[[Category:रूसी भाषा]]
+
[[Category:स्पानी भाषा]]
  
 
अगर फिर फ़िसलता है तुम्हारा पैर
 
अगर फिर फ़िसलता है तुम्हारा पैर

07:24, 24 अक्टूबर 2007 का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: पाब्लो नेरूदा  » संग्रह: नायक का गीत
»  फ़िसलना

अगर फिर फ़िसलता है तुम्हारा पैर

तो वह कट कर अलग हो जाएगा


अगर किसी दूसरी डगर पर ले जाता है

तुम्हें, तुम्हारा हाथ

तो वह सड़-गल कर बेकार हो जाएगा


अगर तुम अपनी ज़िन्दगी मुझ से ले लेती हो

तो तुम जीते-जी मर जाओगी


फिरती रहोगी मारी-मारी, मेरे बिना

बेजान

या साये की तरह ।