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{{KKRachna|रचनाकार: [[=कुमार विश्वास]] [[Category:मुक्तक]] [[Category:|संग्रह= कोई दीवाना कहता है / कुमार विश्वास]]}}{{KKVID|v=Q1PXYmO79vc}}{{KKCatKavita}}~*~*~*~*~*~*~*~~*~*~*~*~*~*~*~ <poem> 1.बहुत टूटा बहुत बिखरा थपेडे सह नही पाया हवाऒं के इशारों पर मगर मै बह नही पाया रहा है अनसुना और अनकहा ही प्यार का किस्सा कभी तुम सुन नही पायी कभी मै कह नही पाया 2.बस्ती बस्ती घोर उदासी पर्वत पर्वत खालीपन
मन हीरा बेमोल बिक गया घिस घिस रीता तन चंदन
इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज़ गज़ब की है
एक तो तेरा भोलापन है एक मेरा दीवानापन||1||
जिसकी धुन पर दुनिया नाचे, दिल एक तो तेरा भोलापन ऐसा इकतारा है एक मेरा दीवानापन,जो हमको भी प्यारा है और, जो तुमको भी प्यारा है.झूम रही है सारी दुनिया, जबकि हमारे गीतों पर,तब कहती हो प्यार हुआ है, क्या अहसान तुम्हारा है||2||
जो धरती से अम्बर जोड़े, उसका नाम मोहब्बत है ,
जो शीशे से पत्थर तोड़े, उसका नाम मोहब्बत है ,
कतरा कतरा सागर तक तो,जाती है हर उमर मगर ,
बहता दरिया वापस मोड़े, उसका नाम मोहब्बत है||3||
3.तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी बहुत टूटा बहुत बिखरा थपेड़े सह नहीं पायाहवाओं के इशारों पर मगर मैं बह नहीं पायारहा है समझता हूँअनसुना और अनकहा ही प्यार का किस्साकभी तुम सुन नहीं पायी कभी मैं कह नहीं पाया||4||
तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ
तुम्हे मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नहीं लेकिन
तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है समझता हूँ||5||
तुम्हे मै भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नही लेकिन तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है समझता हूँ 4.पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार करना क्या
जो दिल हारा हुआ हो उस पर फिर अधिकार करना क्या
मुहब्बत का मज़ा तो डूबने की कश्मकश में है
हो गर मालूम गहराई तो दरिया पार करना क्या||6||
मुहब्बत का मज़ा तो डूबने की कश्मकश मे है हो गर मालूम गहराई तो दरिया पार करना क्या 5.समन्दर पीर का अन्दर है लेकिन रो नही नहीं सकता ये आँसू प्यार का मोती है इसको खो नही नहीं सकता
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले
जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता||7||
जो मेरा हो नही पाया वो तेरा हो नही सकतापुकारे आँख में चढ़कर तो खू को खू समझता है,अँधेरा किसको को कहते हैं ये बस जुगनू समझता है,हमें तो चाँद तारों में भी तेरा रूप दिखता है,मोहब्बत में नुमाइश को अदाएं तू समझता है||8||
----गिरेबां चाक करना क्या है, सीना और मुश्किल है,हर एक पल मुस्काराकर अश्क पीना और मुश्किल है हमारी बदनसीबी ने हमें इतना सिखाया है,कोई दीवाना कहता किसी के इश्क में मरने से जीना और मुश्किल है(२००७) मे प्रकाशित ||9||
http://kumarvishwas.com/ मेरा अपना तजुर्बा है तुम्हें बतला रहा हूँ मैं कोई लब छू गया था तब अभी तक गा रहा हूँ मैं फिराके यार में कैसे जिया जाये बिना तड़पे जो मैं खुद ही नहीं समझा वही समझा रहा हूँ मैं||10||
http:किसी पत्थर में मूरत है कोई पत्थर की मूरत है लो हमने देख ली दुनिया जो इतनी ख़ूबसूरत है ज़माना अपनी समझे पर मुझे अपनी खबर ये है तुम्हें मेरी जरूरत है मुझे तेरी जरूरत है||11||<//www.orkut.com/Community.aspx?cmm=23427391poem>