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"एक घनाक्षरी / पदुमलाल पन्नालाल बख्शी" के अवतरणों में अंतर

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सेर भर सोने को हजार मन कण्डे में  
 
सेर भर सोने को हजार मन कण्डे में  
 
 
खाक कर छोटू वैद्य रस जो बनाते हैं ।  
 
खाक कर छोटू वैद्य रस जो बनाते हैं ।  
 
 
लाल उसे खाते तो यम को लजाते  
 
लाल उसे खाते तो यम को लजाते  
 
 
और बूढ़े उसे खाते देव बन जाते हैं ।  
 
और बूढ़े उसे खाते देव बन जाते हैं ।  
 
 
रस है या स्वर्ग का विमान है या पुष्प रथ  
 
रस है या स्वर्ग का विमान है या पुष्प रथ  
 
 
खाने में देर नहीं, स्वर्ग ही सिधाते हैं ।  
 
खाने में देर नहीं, स्वर्ग ही सिधाते हैं ।  
 
 
सुलभ हुआ है खैरागढ़ में स्वर्गवास  
 
सुलभ हुआ है खैरागढ़ में स्वर्गवास  
 
 
और लूट घन छोटू वैद्य सुयश कमाते हैं ।  
 
और लूट घन छोटू वैद्य सुयश कमाते हैं ।  
 
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(प्रेमा, अप्रैल 1931 में प्रकाशित)
 
(प्रेमा, अप्रैल 1931 में प्रकाशित)

11:49, 19 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण

सेर भर सोने को हजार मन कण्डे में
खाक कर छोटू वैद्य रस जो बनाते हैं ।
लाल उसे खाते तो यम को लजाते
और बूढ़े उसे खाते देव बन जाते हैं ।
रस है या स्वर्ग का विमान है या पुष्प रथ
खाने में देर नहीं, स्वर्ग ही सिधाते हैं ।
सुलभ हुआ है खैरागढ़ में स्वर्गवास
और लूट घन छोटू वैद्य सुयश कमाते हैं ।

(प्रेमा, अप्रैल 1931 में प्रकाशित)