भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"वनिक / भोजपुरी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{ KKLokRachna |रचनाकार }} मैं हूँ साहुकारा नाथ, कीजिए हमारा सौदा,<br> छोटी बड़ी ...)
 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
{{
+
{{KKLokRachna
KKLokRachna
+
|रचनाकार=अज्ञात
|रचनाकार
+
}}{{KKCatBhojpuriRachna}}
 +
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
 +
|भाषा=भोजपुरी
 
}}
 
}}
 
+
<poem>
मैं हूँ साहुकारा नाथ, कीजिए हमारा सौदा,<br>
+
मैं हूँ साहुकारा नाथ, कीजिए हमारा सौदा,
छोटी बड़ी इलायची, छुहड़ा घर भरा है।<br>
+
छोटी बड़ी इलायची, छुहड़ा घर भरा है।
लवंग ओ सुपारी, कत्था केवरा सुवास भरो,<br>
+
लवंग ओ सुपारी, कत्था केवरा सुवास भरो,
बांका है मुनक्का, जो डब्बे में रक्खा है।<br>
+
बांका है मुनक्का, जो डब्बे में रक्खा है।
किसमिस बादाम, ओ चिरंजी तमाम रक्खी,<br>
+
किसमिस बादाम, ओ चिरंजी तमाम रक्खी,
गड़ी का है गोला साँचे का सा ढ़ला है।<br>
+
गड़ी का है गोला साँचे का सा ढ़ला है।
सोंठ जीरा जायफल डिब्बे में कपूर देखो,<br>
+
सोंठ जीरा जायफल डिब्बे में कपूर देखो,
काली मीर्च पीपली चालान नयी आयी है।<br>
+
काली मीर्च पीपली चालान नयी आयी है।
हरदी हरीत के ठंढई भी ढेर रक्खी,<br>
+
हरदी हरीत के ठंढई भी ढेर रक्खी,
धनिया मसाला सब आला दरसाई है।<br>
+
धनिया मसाला सब आला दरसाई है।
कहे अभिलाख लाल लीजिए मखाना पिस्ता,<br>
+
कहे अभिलाख लाल लीजिए मखाना पिस्ता,
दीजिए न दाम, दास चरणों पर पड़ा है।<br><br>
+
दीजिए न दाम, दास चरणों पर पड़ा है।
 +
</poem>

14:24, 21 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

मैं हूँ साहुकारा नाथ, कीजिए हमारा सौदा,
छोटी बड़ी इलायची, छुहड़ा घर भरा है।
लवंग ओ सुपारी, कत्था केवरा सुवास भरो,
बांका है मुनक्का, जो डब्बे में रक्खा है।
किसमिस बादाम, ओ चिरंजी तमाम रक्खी,
गड़ी का है गोला साँचे का सा ढ़ला है।
सोंठ जीरा जायफल डिब्बे में कपूर देखो,
काली मीर्च पीपली चालान नयी आयी है।
हरदी हरीत के ठंढई भी ढेर रक्खी,
धनिया मसाला सब आला दरसाई है।
कहे अभिलाख लाल लीजिए मखाना पिस्ता,
दीजिए न दाम, दास चरणों पर पड़ा है।