|रचनाकार=अज्ञात
}}
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{{KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा=भोजपुरी
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<poem>रोई-रोई कहतिया बुढ़िया रमजनिया,<br>का कहीं ए बाबा आपन दुख के कहनियाँ।<br>जेठवा बेटउआ के कइनी सगाई,<br>अइसन बिआ मिलल दुलहिनिया भेटाइल,<br>खटिया पर पानी ध के माँगे ले भोजनिया। का कहीं...<br>कबो उहो घरवा में झाड़ू ना लगावे,<br>दिनभर भतरा के मुँहवे निहारे,<br>भतरे के किरिया खाले मोर दुलहिनिया। का कहीं...<br><br/poem>