भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दुनिया मेरी भैंस / रमाशंकर यादव 'विद्रोही'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमाशंकर यादव 'विद्रोही' |अनुवादक= |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
 +
मैं अहीर हूँ
 
और ये दुनिया मेरी भैंस है  
 
और ये दुनिया मेरी भैंस है  
 
मैं उसे दुह रहा हूँ
 
मैं उसे दुह रहा हूँ

11:43, 26 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण

मैं अहीर हूँ
और ये दुनिया मेरी भैंस है
मैं उसे दुह रहा हूँ
और कुछ लोग कुदा रहे हैं
ये कउन (कौन) लोग हैं जो कुदा रहे हैं ?
आपको पता है.
क्यों कुदा रहे हैं?
ये भी पता है.
लेकिन एक बात का पता
न हमको है न आपको न उनको
कि इस कुदाने का क्या परिणाम होगा
हाँ ...इतना तो मालूम है
कि नुकसान तो हर हाल में खैर
हमारा ही होगा
क्योंकि भैंस हमारी है
दुनिया हमारी है!