भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हे राम ! / रामकुमार कृषक" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKAnthologyRam}}
 
{{KKAnthologyRam}}
 +
<poem>
 
तुम्हारे नाम की हो रही है लूट  
 
तुम्हारे नाम की हो रही है लूट  
 
 
::हे राम !
 
::हे राम !
 
 
तुम्हारे नाम को जप रहा है झूठ  
 
तुम्हारे नाम को जप रहा है झूठ  
 
 
::हे राम !
 
::हे राम !
 
 
तुम्हारे नाम से भर रहे हैं कुछ पेट  
 
तुम्हारे नाम से भर रहे हैं कुछ पेट  
 
 
::हे राम !
 
::हे राम !
 
 
तुम्हारे नाम पर ठग रहे हैं सेठ  
 
तुम्हारे नाम पर ठग रहे हैं सेठ  
 
 
::हे राम !
 
::हे राम !
 
 
तुम्हारे नाम पर सजे हैं बाज़ार  
 
तुम्हारे नाम पर सजे हैं बाज़ार  
 
 
::हे राम !
 
::हे राम !
 
 
तुम्हारे नाम पर डाकू भी संत हुए  
 
तुम्हारे नाम पर डाकू भी संत हुए  
 
 
::हे राम !
 
::हे राम !
 
 
तुम्हारे नाम की महिमा अनंत है  
 
तुम्हारे नाम की महिमा अनंत है  
 
 
::हे राम !
 
::हे राम !
 +
</poem>

09:39, 7 अक्टूबर 2013 का अवतरण

तुम्हारे नाम की हो रही है लूट
हे राम !
तुम्हारे नाम को जप रहा है झूठ
हे राम !
तुम्हारे नाम से भर रहे हैं कुछ पेट
हे राम !
तुम्हारे नाम पर ठग रहे हैं सेठ
हे राम !
तुम्हारे नाम पर सजे हैं बाज़ार
हे राम !
तुम्हारे नाम पर डाकू भी संत हुए
हे राम !
तुम्हारे नाम की महिमा अनंत है
हे राम !