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गवर / अर्जुनदेव चारण

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|रचनाकार=अर्जुनदेव चारण
|संग्रह=घर तौ एक नाम है भरोसै रौ / अर्जुनदेव चारण
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<Poem>
 
गवन नै
कदेई घर नीं मिळै मां
मती सूंप
आंखियां
 
</Poem>
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