भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मिनख / गोरधनसिंह शेखावत" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोरधनसिंह शेखावत | }} {{KKCatRajasthan}} <poem> सा...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=गोरधनसिंह शेखावत   
 
|रचनाकार=गोरधनसिंह शेखावत   
|
 
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatRajasthaniRachna}}
 
{{KKCatRajasthan}}
 
{{KKCatRajasthan}}
 
<poem>
 
<poem>
पंक्ति 23: पंक्ति 23:
 
कूंतण लाग्या मिनखाजूण नै  
 
कूंतण लाग्या मिनखाजूण नै  
 
मिनख काठ सो बणग्यो |
 
मिनख काठ सो बणग्यो |
 
 
<poem>
 
<poem>

10:11, 16 अक्टूबर 2013 का अवतरण

साँस रै सारै
मौत री काया
टूट'र बिखरगी

धरती सूं चिप्योड़ा पगां में
नफ़रत री गंध
धिमै-धिमै सलारगी

अणछक कांधां रै ऊपर
अतीत रो बोझ
नसां नै तोड़ण लाग्यो
समंधां री छीयाँ
भूत री दांई साम्है खड़ी होगी

झोळ चढ्या सबद
कूंतण लाग्या मिनखाजूण नै
मिनख काठ सो बणग्यो |