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{{KKRachna
|रचनाकार=शशि सहगल |अनुवादक=|संग्रह=कविता लिखने की कोशिश में / शशि सहगल
}}
{{KKCatKavita}}<Poempoem>भरोसे की आँच रात के अँधेरे मेंझूठतुम्हारी हल्की-सी दस्तक सेसोना बन चमकने लगाजाग गया सारा शहरऔर सचपुलक उठी मैं तुम्हें देख एक कोने मेंपरमायूस खड़ाजोहता रहा बाटखरा साबित होने कीतुम किसी और को ढूँढ रहे थे।
</poem>