|संग्रह=लीलटांस / कन्हैया लाल सेठिया
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>
कानां काचो
सूरज
कर नाखी
तारां रै बाप
अन्धेरै री हत्या,
पण परायै सुख दुबळा
चुगलिया दीया
कती‘क ताल<ref>देरजिया !</reFpoem> जिया !