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"समझावणी / कन्हैया लाल सेठिया" के अवतरणों में अंतर

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म्हारी कविता रो अरथ !
 
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07:39, 17 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

मनैं ठा है
हुगी
जुलम‘र भूख री
मार स्यूं
साव सुन्न
थारी चामड़ी,
भरूं हूं
जणां ही
म्हारै डील रै
चूंठिया
स्यात् देख‘र मनैं लोहीझ्याण
समझ ज्यावै तू
म्हारी कविता रो अरथ !