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"शेष कविता / कन्हैया लाल सेठिया" के अवतरणों में अंतर
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07:41, 17 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
दीठ
फेरली पीठ
गमगी ओलखाण,
हुग्या
एक सा
सैंधा-अणसैंधा,
अबै तो
सारै काम
पाड़ोसी कान
बंधगी
सबद स्यूं पिछाण,
हुग्या
निरथक कलम‘र कागद
करूं
निकमां
लीक लीकोलिया
दौरी छूटै
पड़योड़ी लत
जिनगानी रो
दूजो नांव आदत !