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|रचनाकार=सत्यप्रकाश जोशी |संग्रह=राधा / सत्यप्रकाश जोशी
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आज अणचितारयां
अणबुलाई, अणचींती सी
पगां में भाखर रौ भार लियां
घणी दोरी चाली ।
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