भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ब्याव (4) / सत्यप्रकाश जोशी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सत्यप्रकाश जोशी |संग्रह=राधा / सत्यप्रकाश जोशी…) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
− | |रचनाकार=सत्यप्रकाश जोशी | + | |रचनाकार=सत्यप्रकाश जोशी |
− | |संग्रह=राधा / सत्यप्रकाश जोशी | + | |संग्रह=राधा / सत्यप्रकाश जोशी |
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatRajasthaniRachna}} | |
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
− | < | + | <poem> |
− | + | ||
नई कांन्ह ! नईं | नई कांन्ह ! नईं | ||
थारौ म्हारौ ब्याव कोनी हो सकै ! | थारौ म्हारौ ब्याव कोनी हो सकै ! | ||
पंक्ति 33: | पंक्ति 32: | ||
थारै आंगणियै रिमझिम करती | थारै आंगणियै रिमझिम करती | ||
लाडी आवसी। | लाडी आवसी। | ||
− | + | </poem> | |
− | </ | + |
16:47, 17 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
नई कांन्ह ! नईं
थारौ म्हारौ ब्याव कोनी हो सकै !
बिनणी तौ जीतणी पड़ै।
गऊ सी किणी किन्या नै
जीतवा सारू
केई राजा भेळा हुवा होसी।
सै आप आप रै
भुजदंडां रौ बळ आंकसी।
कोई धनख तोड़णौ पड़सी,
कै वळै कोई अणहोणी करणी होसी
थारी भुजावां रौ बळ
कंवारी किन्या रै
घरवाळां रौ प्रण पूरौ करसी
अणजांण किन्या
अण जांण सूरवीर रै गळा में
बरमाळा पूरसी,
मावड़ बाबल हरख रा गीत गवासी,
खुसिया रा ढोल बजासी
छे‘ला मौ‘रत तांई
हारयोड़ा मनहीणा राजा
घमसांण मचावसी।
वांनै भरपूर हरायां
थारै आंगणियै रिमझिम करती
लाडी आवसी।