भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आपां मिळिया? / श्यामसुंदर भारती" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | {{ | + | {{KKCatRajasthaniRachna}} |
− | {{ | + | {{KKCatKavita}} |
− | + | <poem>यूं मिळिया आपां | |
− | + | ||
− | }} | + | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
म्हैं थां सूं मिळियौ | म्हैं थां सूं मिळियौ |
17:33, 17 अक्टूबर 2013 का अवतरण
यूं मिळिया आपां
म्हैं थां सूं मिळियौ
जकौ म्हैं नीं हौ
थां ई म्हां सूं मिळिया
जका थां नीं हा
मिळतां पांण
म्हैं तपाक सूं हाथ आगै कियौ
जकौ म्हां’रौ नीं हौ
थां ई झट हाथ लांबौ कियौ
जकौ थां’रौ नीं हौ
यूं आपां मिळ नै
दूजा-दूजा हाथ मिळाया
दूजी-दूजी मुळक पसारी
खिणखौळै चढिया
घणी सारी दूजी-दूजी बातां करी
इण भांत बार-बार
दूजा-दूजा आपां
एक-दूजे सूं मिळिया
आपां कदैई मिळिया ?