भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अठैई / श्याम महर्षि" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=अड़वो / श्याम महर्षि | |संग्रह=अड़वो / श्याम महर्षि | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatRajasthaniRachna}} | |
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
− | < | + | <poem> |
− | + | ||
लारला दिना | लारला दिना | ||
अठै | अठै | ||
पंक्ति 50: | पंक्ति 49: | ||
कोर्ट-कचैड़ी | कोर्ट-कचैड़ी | ||
अर वकीलां रै दुवारै। | अर वकीलां रै दुवारै। | ||
− | + | </poem> | |
− | </ | + |
17:48, 17 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
लारला दिना
अठै
हुयो हो मेळो
अर
एक दूजै री
करीजी
फजीती अठै।
अठै ई
मिल बैठ‘र
खायी ही सौगन्ध
सगळा
कै अबै
आपां नीं जावलां
ठेकै
अर नीं करालां
उधार
पान बीड़ी अर चाय री।
अठै ई
बिछायजी ही
जाजम अर
लोटै लूण गाळ‘र
करीज्यो हो ऐलान
कै अबै
नीं करांला ओसर मोसर
अर नीं लेजावांला
गाय धरम पूळै माथै।
अठै ई
बीच गुवाड़
हुया हा भैळा
अर सरब सम्मति सूं
बणाईज्यो हो
भोळू नै सरपंच।
अठै ई करीज्यो हो फैसलो
कै गांव रा बासिन्दा
नीं जावैंला
अबै राड़ खातर
कोर्ट-कचैड़ी
अर वकीलां रै दुवारै।